नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
मानसिक सेहत को लेकर लोगों के मन में आज भी कई भ्रांतियां है। कई लोग इसको पागलपन करार देते हैं, तो कई लोगों का मानना है कि सेहत तो सिर्फ शरीर की होती है मानसिक सेहत कुछ होती ही नहीं है। हाल ही वैज्ञानिकों ने एक शोध में बताया है कि डिप्रशन के सिर्फ मानसिक कारण ही नहीं होते हैं बल्कि इसके कुछ बायोलॉजिकल कारण भी होते हैं। ब्रेन बिहेवियर एंड इम्युनिटी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार किसी की भावना को न समझ पाना डिप्रेशन पर असर डाल सकता है। डिप्रेशन उन लोगों मे अधिक असर कर सकता है जिन में सूजन अधिक होती है। मेडीकल रिपोर्ट में इसके परणिाम सामने नहीं आते हैं लेकिन सूजन इनडाइरेक्टली डिप्रेशन पर असर डालती है।
सूजन से होता है ये असर
सूजन हमारे शरीर में कई तरह के संक्रमण और बीमारियो से लडने में मदद करती है। इससे शरीर की रक्षा प्रणाली मजबूत होती है। कई अध्ययनों से पता चला है कि जिन लोगों में सूजन के मार्कर इंटरल्यूकिन-6 और सी-रिएक्टिव प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती है तो उससे डिप्रेशन का खतरा अधिक बढ़ जाता है। सामान्य शब्दों में कह सकते हैं सूजन का सीधा असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
किसी भी इंसान में मेंटल स्टेबिलिटी और खुशी तभी आ सकती है जब वह अपनी भावनाओं को पूरी तरह से व्यक्त कर सके या दूसरे की भावनाओं को समझ सके। बिना इसके लोग खोए हुए और उलझन में नजर आते हैं। अधिक सूजन (सी-रिएक्टिव प्रोटीन और इंटरल्यूकिन-6) से पीडि़त रोगी में डिपेशन का खतरा 37% तक बढ जाता है।
चिकित्सकों ने डिप्रेशन को लेकर कई तर्क दिए हैं किे अधिक चिंता और सोच के कारण किसी भी व्यक्ति की मानसिक सेहत खराब हो सकती है। एक भी एक तरह की बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। सही तरीके से इलाज लेने पर इसको ठीक किया जा सकता है।
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