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नई दिल्ली,वाईबीएन नेटवर्क।
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प्लास्टिक का उपयोग हमारे जीवन में काफी बढ गया है। थैले से लेकर पानी बोटल तक के लिए हम प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। कई बार आपने कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि प्लास्टिक की बोटल में गर्म पानी नहीं रखना चाहिए, लेकिन शायद हमें उसके पीछे का कारण नहीं पता है। सरकार ने भी प्लास्टिक के उपभोग पर रोक लगाने के पहल की है। प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को लेकर अब कई रिपोर्ट सामने आ रही हैं। रिपोर्ट में दावा किया है कि प्लास्टिक से हमारे शरीर को भारी नुकसान हो रहा है।
दिमाग में बढता प्लास्टिक
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हाल ही में नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि 2016 से 2024 के बीच मानव दिमाग में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा 50% तक बढ़ गई है। इस शोध के तहत 24 मृतकों के दिमाग के टिशू का टेस्ट किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रत्येक दिमाग में औसतन 7 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक मौजूद था, जो एक सामान्य प्लास्टिक चम्मच के वजन के बराबर है। दिमाग में प्लास्टिक की इतनी मौजूदगी हैरान करने वाली बात है।
ऐसे घुस रहा प्लास्टिक
शोधकर्ताओं का मानना है कि प्लास्टिक हमारे शरीर में खाने-पीने के माध्यम से ही घुस रहा है। इसका सबसे बडा कारण प्रदूषित पानी से होने वाली सिंचाई को बताया जा रहा है। इसके साथ-साथ मांसाहारी खाने में भी इसकी मात्रा पाई जाती है। प्लास्टिक में पाया जाने वाला पॉलीइथिलीन सबसे ज्यादा दिमाग में जमा हो रहा है। शोध में यह भी सामने आया कि यह छोटे-छोटे कण ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर दिमाग में घुस रहे हैं।
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प्लास्टिक से होने वाले खतरे
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- ये सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है
- सूजन पैदा कर सकता है।
- याददाश्त और सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है
- हार्ट अटैक और कैंसर का कारण भी बन सकता है।
इसके प्रभाव को ऐसे कम किया जा सकता है
- प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम से कम करेंं।
- खाने को प्लास्टिक के बर्तनों में रखने की बजाय कांच के बर्तनों में रखें।
- प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने के बजाय फिल्टर्ड पानी का इस्तेमाल करें।
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