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National Pollution Control Day 2025: हर सांस के साथ बढ़ रहा है खतरा, जानिए एक्सपर्ट की राय

भारत में हर साल 2 दिसंबर को नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को जागरूक करना है कि प्रदूषण सिर्फ वातावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी कितना खतरनाक है।

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YBN News
Air Pollution

नई दिल्ली। भारत में हर साल 2 दिसंबर को नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को जागरूक करना है कि प्रदूषण सिर्फ वातावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी कितना खतरनाक है। आईएएनएस ने इस मौके पर सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गायनेकोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक से बात की और जानने की कोशिश की कि पॉल्यूशन हमारे शरीर पर कैसे असर डालता है और इससे कैसे बचा जा सकता है। 

नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे

डॉ. पाठक के अनुसार, पोल्यूटेंट्स यानी प्रदूषण में मौजूदहानिकारक तत्व जैसे हेवी मेटल्स और पार्टिकुलेट मैटर हमारे शरीर को कई तरीकों से प्रभावित करते हैं। सबसे पहले ये केमिकल्स सीधे कोशिकाओं पर असर डालकर कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं। दूसरा ये है कि ये हार्मोन सिस्टम यानी एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करते हैं, जिससे पूरे शरीर के सिस्टम पर असर पड़ता है। तीसरा ये कि ये डीएनए तक को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे प्रीकैंसर और कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। रिसर्च से पता चलता है कि प्रदूषण भी कैंसर के संभावित कारणों में शामिल है।

प्रदूषण से मानसिकऔर न्यूरोलॉजिकल असर

प्रदूषण से मानसिक और न्यूरोलॉजिकल असर भी होते हैं। इसका असर दिमाग पर पड़ता है, जिससे नींद कम या ज्यादा आने लगती है, ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है, याददाश्त कमजोर हो जाती है, चिड़चिड़ापन बढ़ता है और कभी-कभी लोग मानसिक रूप से भ्रमित महसूस करते हैं।

प्रदूषण का आंखों पर असर होना भी आम है। हवा में मौजूद प्रदूषक आंखों में जलन, पानी आना, लाल होना और बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। सांस और नाक के सिस्टम पर भी असर पड़ता है, जिसमें नाक बंद होना, पानी आना, छींक और सांस लेने में दिक्कत होना जैसे लक्षण दिखते हैं। दिल और ब्लड प्रेशर पर असर भी गंभीर है। जिनका पहले से हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट की समस्या है, उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है और बीपी भी हाई हो जाता है।

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प्रदूषण का असर

प्रदूषण का असर एंडोक्राइन और प्रजनन सिस्टम पर भी पड़ता है। महिलाओं में पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं, फर्टिलिटी कम हो सकती है और गर्भवती महिलाओं में गर्भपात या प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में जन्मजात समस्याओं या विकास में कमी होने की संभावना भी बढ़ जाती है। वाटर पॉल्यूशन और अन्य प्रकार के प्रदूषण भी इसी तरह से शरीर की इम्युनिटी कम कर देते हैं, जिससे बार-बार इंफेक्शन और कैंसर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

बार-बार इंफेक्शन

डॉ. पाठक के अनुसार, बचाव के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं। जब एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से ऊपर हो, तो घर के अंदर रहना सबसे सुरक्षित है। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो सुबह जल्दी या रात को देर से निकलें, क्योंकि दोपहर में एक्यूआई अधिक होता है। साथ में एन95 या एन99 मास्क पहनें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं और इनडोर प्लांट्स जैसे मनी प्लांट, अरेका पाम और स्नेक प्लांट रखें। खूब पानी पीना जरूरी है और खाने में टमाटर, लहसुन, अदरक, तुलसी, ब्लैक पेपर, नींबू, फ्रूट्स और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें। ये सभी खाद्य पदार्थ प्रदूषण से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।

विशेष ध्यान उन लोगों को रखना चाहिए जो हाई-रिस्क ग्रुप में आते हैं, जैसे छोटे बच्चे, बुजुर्ग, दिल या फेफड़ों की बीमारी वाले और एलर्जी वाले। अगर लगातार खांसी, सांस की समस्या, आंखों में जलन या पेट की दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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