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गर्भावस्था के समय महिलाओं के दिमाग के आकार में बदलाव देखने को मिलते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान एक मॉं को तमाम तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक महिलाओं में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। शोधकर्ताओं ने महिलाओं पर प्रेगनेंसी के पहले, प्रेगनेंसी के तीन महीने बाद, छह महीने बाद और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद महिलाओं में क्या असर देखने को मिलता है, इसका अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं के दिमाग का आकार पहले की तुलना में कम हो जाता है या ये सिकुड़ जाता है और इससे ग्रे मैटर 4.9 प्रतिशत तक कम हो जाता है। ग्रे मैटर शरीर में भावनाओं और सोचने-समझने के जरूरी तत्व हैं। ग्रे मैटर में बदलाव दिमाग के 94 प्रतिशत भागों में देखा गया है।
अध्ययन में सामने आई बात
वैज्ञानिकों ने अध्ययन में बताया कि महिलाओं गर्भधारण करने के तीन महीने बाद जीएम में 2.7 प्रतिशत की कमी हो जाती है और बच्चे के जन्म के ठीक पहले ये लगभग 5 प्रतिशत तक कम हो जाता है। फिर ये धीरे- धीरे रिकवर होता है। मॉं बनने के बाद उनमें कई तरह के हार्मानल चेंज भी होते हैं। उनके शरीर में ये बदलाव एस्ट्रोजन हार्मोन के उतार चढाव के कारण होता है। ग्रे मैटर महिलाओं में मॉं होने की भावनाओं के विकास में भी बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। उनमें इससे मातृत्व विकास होता है।
ग्रे मैटर- ये रीढ़ की हड्डी और दिमाग में पाए जाने वाला एक टिस्यू है जो इंसान को दैनिक कार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
एस्ट्रोजन हार्मोन- ये एक सेक्स हार्मोन है जो महिला और पुरूषों में पाया जाता है। लेकिन महिलाओं में ये प्रमुख रूप से पाया जाता है। ये हार्मोन महिलाओं के शारीरिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिाक निभाता है। इसके घटने या बढने पर शरीर पर प्रभाव पड़ता है।
जीएम- जीएम की कमी से महिलाओ में उल्टी आना, चक्कर आना और सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है।
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