नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
कभी धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और इसका प्रमुख कारण संभवत: वायु प्रदूषण है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। यह अध्ययन 'द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल' में प्रकाशित हुआ है। धूम्रपान से मौतों का आंकड़ा दुनिया में काफी तेजी से बढ़ रहा है। धूम्रपान न करने वाले लोगों की तुलना में, सिगरेट पीने वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर से होने या मरने की संभावना 15 से 30 गुना अधिक होती है। धूम्रपान न करने वालों को भी फेफड़ों के कैंसर के विकास का खतरा होता है। धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति को सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर के विकास का 20-30% अधिक जोखिम होता है, और सेकेंड हैंड धुएं के कारण हर साल 7,330 मौतें होती हैं।
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बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आईएआरसी) सहित अन्य संगठनों के शोधकर्ताओं ने चार उपप्रकारों - 'एडेनोकार्सिनोमा' (ग्रंथि कैंसर), 'स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा' (त्वचा कैंसर) , छोटे और बड़े 'सेल कार्सिनोमा' के लिए राष्ट्रीय स्तर पर फेफड़ों के कैंसर के मामलों का अनुमान लगाने के उद्देश्य से 'ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 डेटासेट' सहित अन्य 'डेटा' का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि एडेनोकार्सिनोमा (ऐसा कैंसर जो बलगम और पाचन में मदद करने वाले तरल पदार्थ उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों में शुरू होता है) पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रमुख उपप्रकार बन गया है।
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फेफड़े के कैंसर का अनुपात बढ़ा
वर्ष 2022 में दुनिया भर में कभी धूम्रपान न करने वालों में फेफड़े के कैंसर के 53-70 प्रतिशत मामले इसी उप-प्रकार के पाए गए। शोधकर्ताओं ने लिखा, 'विश्व भर के कई देशों में धूम्रपान का प्रचलन कम होता जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी कभी धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर का अनुपात बढ़ रहा है।' आईएआरसी में कैंसर निगरानी शाखा के प्रमुख फ्रेडी ब्रे ने कहा, 'धूम्रपान की आदतों में बदलाव और वायु प्रदूषण के संपर्क में आना फेफड़े के कैंसर के जोखिम में के मुख्य निर्धारकों में से हैं।' फेफड़ों का कैंसर आज कैंसर से संबंधित मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है।
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हृदय के लिए निकोटिन घातक
अध्ययन में बताया गया है कि सिगरेट में मौजूद निकोटीन आपके हृदय को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है और आपके हृदय की गति को भी बढ़ा देता है, जिससे आपके हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है। हृदय रोग से 5 में से एक व्यक्ति की मृत्यु होती है जो धूम्रपान से सीधे संबंधित है। नेशनल स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार, धूम्रपान से रक्त में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे रक्त के थक्के आसानी से बनते हैं और फिर ये थक्के मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं और स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं। जो मौत का कारण बन सकता है।