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wakingupEarly Photograph: (ians)
नई दिल्ली। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों के अनुसार, सुबह सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्ममुहूर्त (लगभग 4:30 से 5:30 बजे) के बीच जागना शरीर और मन के लिए सबसे लाभदायक माना जाता है। इस समय वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है, जिससे मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है और मन शांत रहता है। जल्दी उठने से दिनचर्या संतुलित रहती है, पाचन तंत्र मजबूत होता है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। यह आदत तनाव को कम कर इम्युनिटी बढ़ाने में भी मदद करती है। नियमित रूप से समय पर उठना शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी को संतुलित रखकर दीर्घायु का मार्ग प्रशस्त करता है।
प्राकृतिक जैविक घड़ी
मालूम हो कि सुबह जल्दी उठना केवल एक अच्छी आदत नहीं, बल्कि यह हमारे शरीर, मन और आत्मा के लिए एक प्राकृतिक औषधि की तरह है। आयुर्वेद के अनुसार, ‘ब्रह्म मुहूर्त’ यानी सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटा पहले का समय सबसे सही माना गया है।आसान शब्दों में कहे तो ब्रह्म मुहूर्त में उठना केवल एक अनुशासन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास का आधार है। जो लोग रोजाना इस समय उठकर दिन की शुरुआत करते हैं, वे अधिक ऊर्जावान, संतुलित और प्रसन्न महसूस करते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में उठना
ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति का वातावरण शांत, स्वच्छ और ऊर्जावान होता है। जब हम इस समय उठते हैं, तो हमारा शरीर प्रकृति की लय के साथ तालमेल बैठाता है। इससे हमारी पाचन क्रिया बेहतर होती है, मन में सकारात्मकता बढ़ती है और पूरे दिन के लिए ऊर्जा का संचार होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता बढ़ती है। इस समय हमारा मन शांत रहता है, जिससे ध्यान, प्रार्थना या योग के लिए यह सबसे उपयुक्त समय होता है। जब हम दिन की शुरुआत ध्यान या गहरी सांसों के साथ करते हैं तो तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों से बच सकते हैं।
आत्म-चिंतन और नई ऊर्जा
यह समय आत्म-चिंतन और नई ऊर्जा के साथ दिन की योजना बनाने के लिए भी आदर्श है। जल्दी उठने का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह हमारे शरीर के प्राकृतिक चक्र को संतुलित करता है। सूर्य के साथ जागना और उसके साथ ही दिन की शुरुआत करना हमारे बायोलॉजिकल क्लॉक को दुरुस्त रखता है। इससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है, थकान कम महसूस होती है और शरीर में हल्कापन बना रहता है। वहीं देर से उठने पर शरीर भारीपन, आलस्य और सुस्ती महसूस करता है, जिससे दिनभर कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
त्रिदोष का संतुलन
आयुर्वेद कहता है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठने से त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) का संतुलन बना रहता है। इस समय उठकर थोड़ी-सी हल्की व्यायाम या योग करने से शरीर में संचय हुआ कफ कम होता है और वात-पित्त संतुलित रहते हैं। यह समय शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने और मन को नई ऊर्जा देने का भी होता है।
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"
(इनपुट-आईएएनएस)
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