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Banefites of Shatavary: महिलाओं के लिए इसलिए है फायदेमंद ‘सौ जड़ों वाली' शतावरी

आयुर्वेद में शतावरी को "स्त्री पौष्टिक" (महिलाओं के लिए पौष्टिक) और रसायन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह वात और पित्त दोषों को संतुलित करने में मदद करती है, जबकि कफ दोष को बढ़ा सकती है। 

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Mukesh Pandit
Benefits of Shatavari
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शतावरी, जिसे में "सौ जड़ों वाला पौधा"कहा जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटी के रूप में प्रतिष्ठित है। इसका वैज्ञानिक नाम Asparagus racemosus है, और यह Asparagaceae परिवार से संबंधित है। आयुर्वेद में इसे "रसायन" (rejuvenative)और "स्त्री रोग विशेषज्ञ" जड़ी-बूटी माना जाता है, क्योंकि यह विशेष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। इसके अतिरिक्त, यह सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और विभिन्न रोगों के उपचार में भी उपयोगी है। शतावरी का उपयोग इसकी जड़ों के रूप में किया जाता है, जो पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। 

आयुर्वेद में शतावरी का स्थान

आयुर्वेद में शतावरी को "स्त्री पौष्टिक" (महिलाओं के लिए पौष्टिक) और रसायन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह वात और पित्त दोषों को संतुलित करने में मदद करती है, जबकि कफ दोष को बढ़ा सकती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों, जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता, में शतावरी को एक शक्तिशाली टॉनिक के रूप में वर्णित किया गया है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता, प्रजनन स्वास्थ्य और पाचन तंत्र को मजबूत करता है। इसे महामेदा समूह का हिस्सा माना जाता है, जो दीर्घायु और जीवन शक्ति को बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियों का समूह है। शतावरी को "शीत वीर्य" (शीतल प्रभाव) वाली जड़ी-बूटी माना जाता है, जो शरीर में शीतलता और शांति प्रदान करती है। यह विशेष रूप से प्रजनन प्रणाली, हार्मोनल संतुलन और तनाव प्रबंधन में सहायक है।

स्वास्थ्य के लिए लाभ

शतावरी के स्वास्थ्य लाभ इसकी समृद्ध पोषक संरचना और औषधीय गुणों के कारण हैं। इसमें सैपोनिन, फ्लेवोनॉइड्स, एल्कलॉइड्स, और स्टेरोल्स जैसे सक्रिय यौगिक पाए जाते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में लाभकारी हैं। get healthy | get healthy body | Health Advice | Health Awareness | health benefits | Health Care | healthcare

महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए

शतावरी को आयुर्वेद में महिलाओं के लिए सर्वोत्तम टॉनिक माना जाता है। यह मासिक धर्म की अनियमितताओं, रजोनिवृत्ति के लक्षणों (जैसे गर्मी का अनुभव, चिड़चिड़ापन), और प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह गर्भाशय को पोषण देती है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाती है। स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध उत्पादन को बढ़ाने में भी यह सहायक है।

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पाचन तंत्र को मजबूत करना

शतावरी पाचन तंत्र को शांत करती है और अल्सर, अम्लता, और गैस्ट्राइटिस जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करती है। यह आंतों की सूजन को कम करती है और पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ावा देती है। शतावरी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह बार-बार होने वाली बीमारियों, जैसे सर्दी और खांसी, से बचाव में मदद करती है।

तनाव और चिंता में कमी

शतावरी एक adaptogen के रूप में कार्य करती है, जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार करती है। शतावरी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और anti-inflammatory गुण हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने और रक्तचाप को स्थिर करने में मदद करती है।

मूत्र संबंधी समस्याएं

शतावरी एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक (diuretic)है, जो मूत्र पथ के संक्रमण (UTI) और किडनी की समस्याओं में लाभकारी है। यह शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। एंटी-एजिंग और त्वचा स्वास्थ्य, शतावरी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स त्वचा को मुक्त कणों (free radicals) से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। यह त्वचा को नमी प्रदान करती है और झुर्रियों को कम करने में मदद करती है।

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शतावरी का उपयोग 

शतावरी चूर्ण : शतावरी की जड़ों को सुखाकर बनाया गया चूर्ण दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। सामान्य खुराक 3-6 ग्राम प्रतिदिन है, जो सुबह या रात को ली जा सकती है। यह सामान्य स्वास्थ्य और प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए उपयोगी है।
शतावरी काढ़ा : शतावरी की जड़ों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जाता है। यह पाचन समस्याओं, मूत्र संबंधी रोगों, और तनाव प्रबंधन में उपयोगी है।
शतावरी घृत : शतावरी को घी के साथ मिलाकर बनाया गया यह औषधीय घी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य और हार्मोनल संतुलन के लिए उपयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक योग: शतावरी को अन्य जड़ी-बूटियों, जैसे अश्वगंधा, गोखरू, और सफेद मूसली, के साथ मिलाकर विभिन्न आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन में उपयोग किया जाता है, जैसे शतावर्यादि चूर्ण और नारायण तेल।
आहार में उपयोग: शतावरी की ताजी जड़ों को सब्जी के रूप में पकाया जा सकता है। यह पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है।

सावधानियां बरतनी चाहिए:

अधिक मात्रा में सेवन से कफ दोष बढ़ सकता है, जिससे सर्दी या बलगम की समस्या हो सकती है। गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को चिकित्सक की सलाह से उपयोग करना चाहिए।एलर्जी या संवेदनशीलता वाले लोगों को पहले छोटी मात्रा में इसका उपयोग करना चाहिए।

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