विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंसेफलाइटिस इंटरनेशनल ने इंसेफलाइटिस (Encephalitis)पर एक महत्वपूर्ण तकनीकी विवरण जारी किया है, जिसमें वैश्विक स्तर पर इस संक्रामक रोग के बढ़ते खतरे को लेकर चिंता जताई गई है और इसे एक अत्यावश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में संबोधित करने पर जोर दिया गया है।
इंसेफलाइटिस के बढ़ते खतरे
तकनीकी विवरण में दुनियाभर में इंसेफलाइटिस के बढ़ते खतरे, रोकथाम में सुधार के लिए आवश्यक उपायों, डेटा संग्रहण एवं निगरानी, निदान एवं उपचार, देखभाल एवं जागरूकता और अनुसंधान नवाचार को रेखांकित किया गया है। इंसेफलाइटिस इंटरनेशनल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. एवा ईस्टन ने कहा, “इंसेफलाइटिस एक बढ़ता हुआ वैश्विक जोखिम है। तत्काल ध्यान और निवेश के बिना, हम इस बीमारी से और अनावश्यक मौतें और विकलांगता होते देखेंगे।” इंसेफलाइटिस एक संक्रामक बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगती है।
भारत में 1,548 मामले
एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 में भारत के 24 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में जापानी इंसेफलाइटिस के कुल 1,548 मामले सामने आए थे। यह किसी भी उम्र, लिंग और नस्ल के व्यक्ति को हो सकती है। इसमें मस्तिष्क में सूजन की शिकायत होती है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। इंसेफेलाइटिस, मस्तिष्क में सूजन आने की स्थिति है. यह एक गंभीर बीमारी है और जानलेवा भी हो सकती है। इसे तीव्र वायरल इन्सेफ़ेलाइटिस या एसेप्टिक इन्सेफ़ेलाइटिस भी कहा जाता है।
इंसेफ़ेलाइटिस से बचने के उपाय:
टिक और मच्छरों से बचें
संक्रमित जानवरों से मिलने वाले दूध का सेवन न करें
इंसेफ़ेलाइटिस का इलाज
प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करने से रोकने वाली दवाएं
इम्यूनोसप्रेसेंट्स, जैसे कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, इम्यूनोग्लोबुलिन, और प्लाज़्मा एक्सचेंज
रिटक्सिमैब, एक प्रतिरक्षा दवा