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Bangladesh में खतरे में प्रेस की स्वतंत्रता, एक साल में पत्रकारों पर हमले के 398 मामले दर्ज

मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश कई चुनौतियों से जूझ रहा है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में अगस्त 2024 से मार्च 2025 तक पत्रकारों पर हमले और उत्पीड़न की कुल 398 घटनाएं दर्ज की गईं हैं। 

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Pratiksha Parashar
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ढाका, आईएएनएस। बांग्लादेश में पत्रकारों के उत्पीड़न की लगातार घटनाओं ने देश की नाजुक हालत को एक बार फिर उजागर किया है। मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के तहत यह दक्षिण एशियाई देश कानून-व्यवस्था और दूसरी कई बड़ी मुश्किलों से जूझ रहा है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में अगस्त 2024 से मार्च 2025 तक पत्रकारों पर हमले और उत्पीड़न की कुल 398 घटनाएं दर्ज की गईं हैं। 

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पत्रकारों के उत्पीड़न की घटनाएं

विश्व 3 मई को 'प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025' मना रहा है, जिसका विषय है, 'नई दुनिया में रिपोर्टिंग - प्रेस स्वतंत्रता और मीडिया पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव'। ढाका स्थित अधिकार समूह ऐन ओ सलिश केंद्र (ASK) ने अपने हालिया आंकड़ों में खुलासा किया कि अगस्त 2024 से मार्च 2025 तक पत्रकारों पर हमले और उत्पीड़न की कुल 398 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें फरवरी और मार्च में दर्ज 82 घटनाएं भी शामिल है। आंकड़ों से पता चला कि मार्च में 40 घटनाएं, फरवरी में 40 और जनवरी में 20 घटनाएं दर्ज की गईं।

137 पत्रकार आरोपी के रूप में नामित

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शुक्रवार को एएसके ने हाल ही में तीन टीवी पत्रकारों की बर्खास्तगी, पिछले वर्ष जुलाई में हुए विद्रोह के संबंध में कम से कम 137 पत्रकारों को आरोपी के रूप में नामित करने, और इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। मानवाधिकार संस्था ने कहा, "किसी भी समाज की खूबसूरती उसके नागरिकों के मौलिक अधिकारों की मान्यता में निहित है। जब उन अधिकारों को कानून या प्रभाव द्वारा सीमित किया जाता है, तो इसे उत्पीड़न माना जाता है।"

140 पत्रकारों पर हत्या के आरोप

प्रमुख बांग्लादेशी समाचार पत्र 'द डेली स्टार' की रिपोर्ट के अनुसार, एएसके ने कहा कि मीडिया और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए अंतरिम सरकार के मौजूदा उपाय अपर्याप्त प्रतीत होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं सुशासन और मानवाधिकारों के विपरीत हैं। इसके अलावा, प्रमुख मीडिया निगरानी समूह, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि शासन परिवर्तन के बाद, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार से संबद्ध माने जाने वाले लगभग 140 पत्रकारों पर 'प्रदर्शनकारियों की हत्या के अत्यंत गंभीर लेकिन निराधार आरोप' लगे।

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'मानवता के विरुद्ध अपराध' का आरोप

आरएसएफ के अनुसार, 25 लोगों पर 'मानवता के विरुद्ध अपराध' का आरोप लगाया गया, जिसके कारण कई लोगों को गिरफ्तारी और कारावास से बचने के लिए छिपना पड़ा। ढाका यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के पूर्व अध्यक्ष सोहेल हैदर ने एक प्रमुख दैनिक, न्यू एज से बात करते हुए कहा, "कई पत्रकार कथित तौर पर शेख हसीना की सरकार से जुड़े हत्या के मामलों का सामना कर रहे हैं। उनमें से कई भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों में शामिल हो सकते हैं। मामले विशिष्ट आरोपों के साथ दर्ज किए जाने चाहिए, लेकिन सामूहिक हत्या के मामलों में नहीं फंसाए जाने चाहिए।"

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