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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत द्वारा पाकिस्तानके साथ हुई जल संधि को निलंबित करने के बाद अब अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान की जल आपूर्ति को सीमित करने के संकेत दिए हैं। तालिबान सरकार के उप सूचना मंत्री मुजाहिद फाराही ने ऐलान किया है कि अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता शेख हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने जल एवं ऊर्जा मंत्रालय को कुनार नदी पर बिना किसी देरी के बांध निर्माण शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
कुनार नदी पर बांध बनाने के दिए निर्देश
कुनार नदी पाकिस्तान में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है और यह पाकिस्तान के लिए पानी का एक बड़ा स्रोत मानी जाती है। फाराही के मुताबिक, अमीर-उल-मुमिनीन यानी शेख हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने मंत्रालय को आदेश दिया है कि विदेशी फर्मों के साथ अनुबंध करने के बजाय घरेलू अफगान कंपनियों के साथ करार किए जाएं, ताकि निर्माण कार्य में देरी न हो। मुजाहिद फाराही ने यह जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करते हुए बताया कि सर्वोच्च नेता ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुनार नदी पर बांधों का निर्माण तत्काल शुरू किया जाए और परियोजनाओं में स्थानीय कंपनियों को प्राथमिकता दी जाए।
अफगानों को अपने जल संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार
इस बीच, अफगानिस्तान के जल एवं ऊर्जा मंत्री मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा है कि, “अफगानों को अपने जल संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार है।” मंसूर ने यह भी कहा कि तालिबान सरकार देश के प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को अफगान जनता के हित में करना चाहती है और किसी बाहरी दबाव में नहीं आएगी। अफगानिस्तान की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब कुछ दिन पहले ही भारत ने भी पाकिस्तान के साथ हुई 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द करने की दिशा में कदम उठाया था। यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे। हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि के तहत अपनी भागीदारी सस्पेंड कर दी थी।
पाकिस्तान पर पड़ेगा बड़ा असर
यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के उपयोग को नियंत्रित करती है, जो भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार रही है। भारत ने इस दौरान कई परियोजनाओं पर काम तेज करने की घोषणा की, जिनमें चिनाब नदी पर रणबीर नहर परियोजना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत नहर की लंबाई को दोगुना बढ़ाकर 120 किलोमीटर किया जा रहा है। यह नहर भारत से होकर बहती है और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र तक जाती है, जिससे वहां की कृषि को पानी की आपूर्ति होती है। भारत और अफगानिस्तान दोनों के इन कदमों से पाकिस्तान की जल आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कुनार नदी पर अफगानिस्तान ने बांध निर्माण शुरू कर दिया, तो पाकिस्तान को पूर्वी सीमाओं के साथ-साथ पश्चिमी सीमाओं पर भी जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
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