गाजा, वाईबीएन नेटवर्क।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो अपने गाजा प्लान को लेकर लगातार आलोचना झेल रहे थे, अब अपने पुराने रुख से पीछे हटते नजर आ रहे हैं। बुधवार को व्हाइट हाउस में उन्होंने साफ कहा, "कोई भी किसी को गाजा से बाहर नहीं निकाल रहा।" उनके इस बयान ने अमेरिका की नीति में अचानक बदलाव का संकेत दिया है।
दरअसल, ट्रंप ने पहले गाजा को खाली कर इसे अमेरिकी नियंत्रण में लेकर विकसित करने की योजना पेश की थी, जिसे इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का समर्थन मिला था। हालांकि, इस योजना की भारी आलोचना भी हुई, खासकर अरब देशों और फिलिस्तीनी समूहों से। लेकिन अब ट्रंप ने अपने बयान से यह स्पष्ट कर दिया कि गाजा में विस्थापन की कोई योजना नहीं है।
अमेरिका के रुख में बदलाव क्यों?
ट्रंप के इस बदले रुख का कारण बुधवार को कतर में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक को माना जा रहा है। इस बैठक में कतर, जॉर्डन, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री और फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के महासचिव शामिल थे। अमेरिका की ओर से मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य गाजा के पुनर्निर्माण पर चर्चा करना था। कतर के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, अरब मंत्रियों ने 4 मार्च, 2025 को काहिरा में मंजूर की गई गाजा पुनर्निर्माण योजना पर चर्चा की। इस योजना का मकसद गाजा को फिर से बसाना और वहां स्थायी शांति स्थापित करना है। इससे पहले शनिवार को, इस्लामिक सहयोग संगठन ने सऊदी अरब में हुई एक आपात बैठक में अरब लीग की प्रस्तावित गाजा योजना को औपचारिक रूप से अपना लिया था। इस पहल को मिस्र ने आगे बढ़ाया, जिसका मकसद गाजा को फिलिस्तीनी प्रशासन के तहत पुनर्निर्मित करना है। इसे ट्रंप की योजना का एक वैकल्पिक समाधान माना जा रहा है।
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हमास और अमेरिका के बीच अप्रत्याशित बातचीत
इस बीच, गाजा में युद्ध विराम को लेकर एक नया मोड़ तब आया जब हमास के वरिष्ठ नेता ताहिर अल-नोनो ने कतर में वाशिंगटन के साथ सीधी बातचीत की पुष्टि की। बातचीत का केंद्र एक अमेरिकी-इजरायली नागरिक की रिहाई थी, जिसे हमास ने पकड़ रखा है। यह पहली बार हुआ जब अमेरिका ने बंधक वार्ताकार एडम बोहलर को हमास के साथ सीधी बातचीत के लिए भेजा। यह कदम वाशिंगटन की पुरानी नीति को तोड़ता है, जिसके तहत वह उन समूहों से संवाद नहीं करता जिन्हें वह 'आतंकवादी संगठन' मानता है। हमास प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र के मध्यस्थों से भी मुलाकात की और इजरायल के साथ युद्ध विराम के अगले चरण पर चर्चा की। दूसरी ओर, इजरायल ने भी सोमवार को दोहा में वार्ताकारों को भेजा, जिससे संकेत मिलता है कि दोनों पक्ष संघर्ष विराम वार्ता को गंभीरता से ले रहे हैं।
शांति प्रयासों पर अरब देशों की जोरदार पहल
अरब देशों ने गाजा संकट को हल करने के लिए अपनी कूटनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं। कतर में हुई बैठक में अरब विदेश मंत्रियों ने दो-राज्य समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और फिलिस्तीनी जनता की आज़ादी और आत्मनिर्णय के अधिकार की वकालत की। उन्होंने अमेरिका के साथ समन्वय बढ़ाने पर सहमति जताई ताकि गाजा के पुनर्निर्माण की योजना को लागू किया जा सके। इस पहल से यह भी साफ हो गया कि अरब देश ट्रंप की गाजा योजना को स्वीकार करने के बजाय एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी प्रशासन के तहत गाजा के पुनर्निर्माण का समर्थन कर रहे हैं।
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ट्रंप के ताजा बयान से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अमेरिका अब अपने पुराने रुख से पूरी तरह पीछे हटने वाला है? क्या अमेरिका अब अरब देशों के प्रस्ताव को समर्थन देगा? विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान राजनीतिक दबाव और कूटनीतिक समीकरणों का नतीजा हो सकता है। अमेरिका के लिए गाजा में स्थिरता बनाए रखना जरूरी है, खासकर तब जब इस क्षेत्र में शांति वार्ता एक नाजुक मोड़ पर है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि अमेरिका अपने नए रुख को लेकर आगे क्या ठोस कदम उठाता है। क्या ट्रंप प्रशासन अरब लीग की योजना का समर्थन करेगा, या फिर इजरायल के पक्ष में अपनी रणनीति बनाए रखेगा? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।