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Bangladesh Economic Crisis: पाकिस्तान से दोस्ती कर कंगाल हो रहा बांग्लादेश, हो सकता है 'ब्लैकआउट'

Bangladesh Economic Crisis: प्रावधान ये है कि पहले बकाया चुकाया जाएगा और उसके बाद ही दोबारा बिजली खरीदी जा सकेगी। लेकिन पुराने बकाया चुकाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं।

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Kamal K Singh
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वाईबीएन नेटवर्क 

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मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की हालत खराब होती जा रही है। हालात ये हो गए हैं कि देश के पास अब अपने कर्ज चुकाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। मौजूदा हालात ये हैं कि बांग्लादेश के पास देश में बिजली खरीदने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। प्रावधान ये है कि पहले बकाया चुकाया जाएगा और उसके बाद ही दोबारा बिजली खरीदी जा सकेगी। लेकिन पुराने बकाया चुकाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं।

आपको बता दें कि बांग्लादेश की पहले से खराब चल रही हालत को और बड़ा झटका लग सकता है। वहीं दूसरी ओर अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस सत्ता में आने के बाद अपने निजी हिसाब-किताब निपटाने में जुटे हैं। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ करीब साढ़े पांच महीने के कार्यकाल में 100 से ज्यादा राजनीतिक मामले दर्ज किए गए हैं।

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बांग्लादेश पर भी अडानी का पैसा बकाया है

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) पर विभिन्न स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPP) और पेट्रोबांग्ला का बिजली और गैस खरीद के लिए 43,473 करोड़ टका बकाया है। इस राशि में से भारतीय अडानी समूह को 10,309 करोड़ टका मिलना है, जबकि स्थानीय IPP को लगभग 16,000 करोड़ टका मिलना है। पेरा और रामपाल सहित संयुक्त उद्यम बिजली संयंत्रों को 10,000 करोड़ टका का भुगतान करना है, जबकि पेट्रोबांग्ला को 7,164 करोड़ टका का भुगतान करना है।

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देश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है

पिछली गर्मियों की बात करें तो बांग्लादेश में 17,200 मेगावाट बिजली की मांग थी, जिसे सरकार पूरा करने में विफल रही। सरकार आधिकारिक तौर पर देश में केवल 15,500 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर पाई। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बांग्लादेश में बिजली की मांग हर साल 6% बढ़ रही है। बांग्लादेश इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (BIPA) का अनुमान है कि आने वाली गर्मियों (मार्च से सितंबर) में बिजली की मांग बढ़कर 18,232 मेगावाट हो जाएगी।

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