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Trump को बड़ा झटका, चुनावी आदेश को वाशिंगटन और ओरेगन की चुनौती, जानिए पूरा मामला

टैरिफ वार को लेकर पूरी दुनिया में चर्चे जा रहे US President Donald Trump को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। वह अपने ही देश में ‌घिरते नजर आ रहे हैं।

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Dhiraj Dhillon
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Photograph: (X)

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Donald Trump News: टैरिफ वार को लेकर पूरी दुनिया में चर्चे जा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति donald trump को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। वह अपने ही देश में ‌घिरते नजर आ रहे हैं। ट्रंप को उस समय बड़ा झटका लगा जब दो प्रमुख अमेरिकी राज्यों वाशिंगटन और ओरेगन ने उनके नए चुनावी आदेश को कोर्ट में चुनौती दे दी। दोनों स्टेट नए चुनावी आदेश के खिलाफ शुक्रवार को सिएटल की संघीय अदालत पहुंच गए। दायर की गई याचिका में इन राज्यों का कहना है कि नया चुनावी आदेश डाक से मतदान करने वाले लाखों मतदाताओं के अधिकारों को खतरे में डाल सकता है।

डेमोक्रेटिक शासित राज्य पहले ही कोर्ट पहुंचे

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बता दें कि इससे एक दिन पहले बृहस्पतिवार को डेमोक्रेटिक पार्टी शासित 19 अन्य राज्यों ने भी इस चुनावी आदेश के खिलाफ अदालत का रुख किया था। वॉशिंगटन के अटॉर्नी जनरल निक ब्राउन ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया क्योंकि दोनों राज्य डाक द्वारा मतदान प्रणाली पर पूरी तरह निर्भर हैं।

जानिए क्या है ट्रंप का नया आदेश

चुनाव को लेकर जारी किए गए डोनाल्ड ट्रंप के नए आदेश में मतदाता पंजीकरण के समय नागरिकता के दस्तावेज दिखाना अनिवार्य किए गए हैं। इसके साथ ह‌ी डाक मतपत्र केवल चुनाव के दिन तक प्राप्त होने चाहिए। ट्रंप ने अपने चुनावी आदेश में नियमों का पालन न करने पर संघीय वित्तीय सहायता रोकने की चेतावनी भी दी है।

आपत्ति के बारे में भी जानिए

वाशिंगटन के अटॉर्नी जनरल निक ब्राउन ने कहा, "न संविधान और न ही कोई संघीय कानून राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वो यह तय करें कि राज्य अपने चुनाव कैसे कराएं। यह पूरी तरह राज्यों का अधिकार है। "ओरेगन के अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा, “यह आदेश मतदाता अधिकारों को कुचलने की साजिश है। ट्रंप संविधान पर हमला कर रहे हैं और खुद को राजा समझ बैठे हैं।”
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संघीय अदालत ने ट्रंप के आदेश पर लगाई रोक

शुक्रवार को अमेरिका की एक संघीय अदालत ने राष्ट्रपति ट्रंप के इंटर अमेरिकन फाउंडेशन (IAF) को बंद करने के आदेश पर भी रोक लगा दी, बता दें कि 19 फरवरी को ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें IAF सहित कई संघीय एजेंसियों को बंद या छोटा करने की योजना थी। इस कदम को सरकारी खर्च कम करने की दिशा में उठाया गया कदम बताया गया था। अगले ही दिन ट्रंप के करीबी अरबपति सलाहकार एलन मस्क के नेतृत्व वाली टीम IAF दफ्तर पहुंची। कुछ ही समय में एजेंसी के सभी बोर्ड सदस्य हटा दिए गए, अध्यक्ष सारा एविएल को बर्खास्त किया गया और पीट मरोको को अस्थायी प्रमुख बना दिया गया।

कोर्ट ने भी ट्रंप को बताई उनकी सीमा रेखा

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जज लोरेन अलीखान ने कहा, “ट्रंप प्रशासन को IAF के बोर्ड को भंग करने या अध्यक्ष को हटाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि यह संस्था कांग्रेस द्वारा गठित है और इसका संचालन एक द्विदलीय 9-सदस्यीय बोर्ड के तहत होता है।”

क्या है IAF?

इंटर-अमेरिकन फाउंडेशन पिछले 50 वर्षों से लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में सामाजिक कार्यों के लिए अनुदान देती रही है। अब तक 36 देशों में 945 मिलियन डॉलर (लगभग 7,800 करोड़ रुपये) के अनुदान दिए गए हैं। इसका उद्देश्य गरीब और पिछड़े समुदायों को स्थानीय स्तर पर विकास के लिए सशक्त बनाना है।
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