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North Korea Dictator! को चुनौती!, जानें- साउथ कोरिया, अमेरिका और जापान क्यों बना रहे तिकड़ी ?

दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान ने यूएसएस कार्ल विंसन विमानवाहक पोत के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया। जानें अब ये तिकड़ी क्या करने वाली है...

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Ajit Kumar Pandey
North Korea Dictator!

North Korea News

सोल, वाईबीएन नेटवर्क ।

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दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान ने यूएसएस कार्ल विंसन विमानवाहक पोत के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया। सोल के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।  

संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य उद्देश्य उत्तर कोरिया के रासायनिक, जैविक और रेडियोलॉजिकल (सीबीआर) खतरों को बेहतर ढंग से रोकने और उनका मुकाबला करना है।

मंत्रालय ने कहा कि त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास इस वर्ष आयोजित किया गया पहला ऐसा अभ्यास है।

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संयुक्त अभ्यास सोमवार से गुरुवार तक दक्षिणी रिसॉर्ट द्वीप जेजू के दक्षिण में अंतरराष्ट्रीय जल में हुआ।

यूएसएस कार्ल विंसन के अलावा, तीनों पक्षों के छह और युद्धपोत अभ्यास में थे शामिल

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यूएसएस कार्ल विंसन के अलावा, तीनों पक्षों के छह और युद्धपोत अभ्यास में शामिल थे। इनमें दक्षिण कोरियाई नौसेना का आरओकेएस 'सेजोंग द ग्रेट' विध्वंसक और जापान समुद्री आत्मरक्षा बल का जेएस 'इकाजूंची' विध्वंसक शामिल था।

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मंत्रालय ने कहा कि यह अभ्यास तीनों पक्षों की ओर से संयुक्त रूप से स्थापित बहु-वर्षीय प्रशिक्षण योजना के तहत आयोजित नियमित अभ्यास का हिस्सा था।

उत्तर कोरिया इस तरह के अभ्यासों को अपनी सुरक्षा के खतरे के तौर पर देखता है और इनका विरोध करता है।

यह अभ्यास ऐसे समय में हुआ है जब प्योंगयांग ने हाल ही में सोमवार को पीले सागर की ओर कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने के बाद प्योंगयांग का पहला ज्ञात बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट था।

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दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने कहा कि उन्होंने उत्तरी ह्वांगहे प्रांत के पश्चिमी काउंटी ह्वांगजू के निकट एक क्षेत्र से इस प्रक्षेपण का पता लगाया।

जेसीएस ने कहा कि इसमें निकट दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें (सीआरबीएम) या 300 किलोमीटर से कम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हो सकती हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत, उत्तर कोरिया को बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक का उपयोग करने वाले किसी भी प्रक्षेपण से प्रतिबंधित किया गया है।

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