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Kabul में चीन-पाकिस्तान - अफगानिस्तान की अहम बैठक, क्या भारत के खिलाफ है कोई साजिश?

काबुल में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की बैठक में भारत के खिलाफ कोई साजिश हो सकती है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी काबुल पहुंचे, जहां त्रिपक्षीय बैठक में CPEC विस्तार पर चर्चा होगी। यह परियोजना PoK से होकर गुजरती है और उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है।

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Dhiraj Dhillon
CPEC Meeting File Photo

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Kabul News: काबुल में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में चल रही बैठक पर भारत की सतर्क नजर है। इस बैठक में तीनों पड़ोसी मिलकर भारत के खिलाफ साजिश कर सकते हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत यात्रा के बाद सीधे पाकिस्तान न जाकर बुधवार को अफगानिस्तान पहुंचे। वह काबुल में होने वाले त्रिपक्षीय सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के विस्तार और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत इस बैठक पर करीबी नजर रखे हुए है। दरअसल यह गलियारा पीओके से होकर गुजरने का प्रस्ताव है, और यदि ऐसा होता है तो निर्णय पीओके की संप्रभुता को खंडित करने वाला होगा। 

क्या चाहता है अफगानिस्तान?

अफगान विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस सम्मेलन में राजनीतिक, आर्थिक और क्षेत्रीय सहयोग पर चर्चा होगी। इसमें तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार हिस्सा लेंगे। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह उनकी पहली हाई-लेवल त्रिपक्षीय बैठक है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मान्यता की कोशिशों को मजबूती देना है। हाल ही में रूस तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता देने वाला पहला देश बना है।

चीन की रणनीति

बीजिंग ने तालिबान की सत्ता में वापसी को तेजी से स्वीकार किया और अफगानिस्तान में खनिज संसाधनों के दोहन और अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत प्रभाव बढ़ाने पर काम कर रहा है। 2017 में चीन ने पहली बार अफगानिस्तान को CPEC से जोड़ने का प्रस्ताव दिया था। अब छठे दौर की इस वार्ता में पेशावर से काबुल तक मोटरवे निर्माण जैसे प्रोजेक्ट पर भी चर्चा संभव है।

भारत की चिंताएं

भारत लगातार CPEC का विरोध करता रहा है, क्योंकि यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है और भारत की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है। यदि अफगानिस्तान इसमें शामिल होता है तो पाकिस्तान अपने कब्जे वाले क्षेत्रों पर दावा और मजबूत कर सकता है। भारत ने अब तक अफगानिस्तान में तीन अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिसमें सड़क, संसद भवन, पावर प्लांट और डैम जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। CPEC से जुड़ाव भारत की मौजूदगी को कमजोर कर सकता है और क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे को भी बढ़ा सकता है।

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