बोस्टन, वाईबीएन डेस्क। अमेरिका में एक संघीय न्यायाधीश ने शुक्रवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मेजबानी करने से रोकने के ट्रंप प्रशासन के प्रयासों पर रोक लगा दी है।। अमेरिकी जिला न्यायाधीश एलिसन बी. के आदेश के बाद मामले के निर्णय तक हार्वर्ड विदेशी छात्रों की मेजबानी कर सकता है। इससे हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है।
अदालत ने कहा, पढ़ाई जारी रख सकते हैं
मामले की सुनवाई करते हुए अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन बरो ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि जब तक कानूनी प्रक्रिया चल रही है, तब तक हार्वर्ड विदेशी छात्रों को पढ़ाना जारी रख सकता है। यह फैसला हार्वर्ड के लिए एक और कानूनी जीत है, जो हाल के महीनों में व्हाइट हाउस की कई नीतियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।
संकट में था 7000 विदेशी छात्रों का भविष्य
इस वर्ष मई में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के खिलाफ केस दर्ज किया था। यह विभाग विदेशी छात्रों को वीजा देने की अनुमति देता है। विभाग ने हार्वर्ड की यह अनुमति रद्द कर दी थी, जिससे करीब 7,000 विदेशी छात्रों का भविष्य संकट में पड़ गया था। मामले में छात्रों को या तो यूनिवर्सिटी छोड़नी पड़ती या अमेरिका में उनका कानूनी दर्जा खत्म हो जाता। इसके बाद जून में ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर विदेशी छात्रों के हार्वर्ड में दाखिले पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने इस पर भी अस्थायी रोक लगा दी।
हार्वर्ड में टकराव क्यों हुआ?
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच लंबे समय से टकराव चला आ रहा है। ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि हार्वर्ड बहुत ज्यादा लिबरल हो गया है और यह यहूदी-विरोधी व्यवहार को नजरअंदाज करता है।
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर लगाई थी रोक
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर लगाए गए आरोपों के आधार पर हार्वर्ड का $2.6 अरब डॉलर का रिसर्च फंड काट दिया, सरकारी कॉन्ट्रैक्ट रद्द किए, यूनिवर्सिटी की टैक्स छूट खत्म करने की धमकी दी, और अप्रैल में हार्वर्ड से विदेशी छात्रों से जुड़े दस्तावेज भी मांगे। इसके बाद जब ट्रंप सरकार को हार्वर्ड की तरफ से मिली जानकारी पर्याप्त नहीं लगी, तो 22 मई को यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट और एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया गया।
हार्वर्ड ने लगाया दबाव बनाने का आरोप
मामले में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इन कार्रवाइयों को गैरकानूनी और बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया था। यूनिवर्सिटी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन उस पर दबाव बना रहा था कि वह प्रदर्शन, एडमिशन, फैकल्टी नियुक्ति और अपनी नीतियों में बदलाव करे, जिसे हार्वर्ड ने मानने से इनकार कर दिया।