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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। ईरान इस वक्त एक बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। इसरायल के ताबड़तोड़ हवाई हमलों में अब तक ईरान के कई अहम मिलिट्री कमांडर और न्यूक्लियर साइंटिस्ट मारे जा चुके हैं। राजधानी तेहरान समेत कई बड़े शहरों में दहशत और अफरातफरी का माहौल है। इस जंग में अमेरिका खुलकर इसराइल के साथ आ सकता है। ऐसे में ईरान की बर्बादी होना तय माना जा रहा है। इस बीच एक 16 साल की लड़की की दर्दनाक कहानी अचानक सुर्खियों में आ गई है। कहा जा रहा है कि ईरान को इसी लड़की का श्राप लगा है, जो पूरे देश की बर्बादी का कारण बना है।
लोग कहते हैं इसी लड़की का श्राप ईरान को लगा है क्योंकि इस लड़की के फांसी के बाद से ईरान में कभी शांति नहीं रही
— पंडित जी 𝕋ℙℕ♛ (@Brand_Netan) June 17, 2025
सबसे क्रूर सजा दिए जाने का जो मामला दुनिया के सामने आया था, वो ईरान की 16 वर्षीय मासूम लड़की अतीफेह रजबी सहलीह का मामला है...
जिसके अंदर तनिक भी मानवता जीवित है, कहानी… pic.twitter.com/RR6jbVAZYK
कौन थी आतेफा साहलेह?
कहा जा रहा है कि ईरान आज जिन मुसीबतों से जूझ रहा है, वह एक मासूम लड़की के ‘श्राप’ का नतीजा है। यह कहानी साल 2004 की है, यह कहानी आतेफा साहलेह की है। आतेफा को मात्र 16 साल की उम्र में फांसी दे दी गई थी। 16 साल की उम्र में फांसी देना ईरानी कानून के खिलाफ है, इसके बावजूद आतेफा को फांसी पर चढ़ाया गया।
आतेफा साहलेह पर आरोप
आतेफा साहलेह का जन्म 21 सितंबर 1987 को ईरान के नेका शहर में हुआ था। महज 5 साल की उम्र में उसने अपनी मां को एक सड़क हादसे में खो दिया। पिता नशे की गिरफ्त में आ चुके थे, इसलिए आतेफा की परवरिश उसके दादा-दादी के पास हुई। जीवन की कठिनाइयों से जूझती आतेफा पर 2004 में 'चरित्रहीनता' का आरोप लगा। कहा गया कि उसका एक पुरुष के साथ ‘अनैतिक संबंध’ था।
आतेफा के साथ दरिंदगी हुई थी?
आतेफा को एक पुरुष के साथ संबंध होने की वजह से सजा ए मौत सुनाई गई। लेकिन आतेफा की हकीकत कहीं ज्यादा दर्दनाक थी। आतेफा ने दावा किया था कि वह बार-बार बलात्कार की शिकार हुई थी और आरोपी खुलेआम घूम रहा है।
न्यायिक प्रक्रिया या निजी रंजिश?
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री “Execution of a Teenage Girl” ने इस केस की परतें खोलीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस जज ने आतेफा को सजा सुनाई, वह आतेफा से निजी तौर पर नाराज़ था। न्यायिक दस्तावेजों में हेरफेर कर उसकी उम्र 16 से बढ़ाकर 22 साल दर्ज की गई, ताकि उसे फांसी दी जा सके। गौरतलब है कि ईरान में 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को फांसी देना गैरकानूनी है।
सरेआम दी गई फांसी
15 अगस्त 2004 की सुबह नेका शहर में दिल दहला देने वाला दृश्य सामने आया। एक मोबाइल क्रेन को फांसी का फंदा बनाया गया और लोगों की भीड़ के सामने आतेफा को सरेआम फांसी दे दी गई। ईरान का नेका शहर आतेफा की दर्दनाक चीखों का गवाह है।
फांसी के बाद आतेफा को माफी
इस नृशंस सजा के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारी आक्रोश पनपा। कई मानवाधिकार संगठनों ने ईरान की न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। इसके बाद ईरान की सुप्रीम कोर्ट ने आतेफा को मरणोपरांत माफी दी और इस मामले से जुड़े जज रिज़ाई समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। अब जब ईरान युद्ध की कगार पर है और भीतर से भी अस्थिरता झेल रहा है, सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह उसी मासूम लड़की का श्राप है? iran vs israel | iran