नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किए जाने को लेकर इन दिनों चर्चाएं तेज हैं। ट्रंप खुद को शांतिदूत बता रहे हैं। दुनिया के कई देशों के बीच जंग रुकवा और मध्यस्थता कराने का दावा कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप भारत- पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाने का दावा भी कई बार कर चुके हैं, हालांकि भारत ने हर बार इसे नकारा है। अब ट्रंप का दर्द छलक रहा है। उनका कहना है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने के बावजूद उन्हें नोबेल प्राइज नहीं मिलेगा।
पाकिस्तान ने भेजा ट्रंप का नाम
पाकिस्तान ने सीजफायर का क्रेडिट ट्रंप को देते हुए नोबेल पुरस्कार की मांग की है। पाकिस्तान सरकार ने औपचारिक रूप से ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भेजा है। पाकिस्तान की इस सिफारिश के पीछे उसके सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भूमिका बताई जा रही है। खबरों के अनुसार, मुनीर ने भी ट्रंप को नामांकित करने की पैरवी की थी। इसके बाद वाइट हाउस में ट्रंप और मुनीर के बीच लंच मीटिंग भी हुई।
मुझे नहीं मिलेगा क्रेडिट और नोबेल पुरस्कार
डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है और कहा कि मुझे युद्ध रुकवाने का क्रेडिट नहीं मिलेगा और नोबेल प्राइज नहीं मिलेगा। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “मैंने कांगो और रवांडा के बीच समझौता कराया, भारत-पाक के बीच जंग रुकवाई, सर्बिया-कोसोवो, मिस्र-इथियोपिया और मिडिल ईस्ट में अब्राहम समझौते में भूमिका निभाई, लेकिन मुझे नोबेल नहीं मिलेगा।”
नोबेल प्राइज कमेटी पर निशाना
डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले को लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लंबा पोस्ट लिखा है। इस दौरान उन्होंने छह बार नोबेल शांति पुरस्कार का जिक्र किया। दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच तनाव के बाद हुए समझौतों का जिक्र किया और नोबेल प्राइज कमेटी पर निशाना साधा। ट्रंप ने कहा कि नोबेल सिर्फ लिबरल्स को दिया जाता है।
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नोबेल शांति पुरस्कार क्या है?
नोबेल शांति पुरस्कार वैश्विक स्तर पर सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है, जिसे उन व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जाता है जिन्होंने विश्व शांति की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया हो। इसकी शुरुआत डायनामाइट के आविष्कारक और स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार 1901 में हुई थी। यह पुरस्कार ओस्लो, नॉर्वे में नोबेल समिति द्वारा प्रदान किया जाता है।
पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर हुआ संघर्ष विराम
बता दें कि ट्रंप कई मौकों पर कह चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कराई, हालांकि भारत ने हर बार इसे नकारा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों ट्रंप से फोन पर बातचीत करते हुए स्पष्ट किया था कि संघर्षविराम में अमेरिका का कोई हाथ नहीं है। पीएम मोदी ने साफ कहा कि ना मध्यस्थता स्वीकारी थी और ना स्वीकारेंगे। पाकिस्तान के अनुरोध पर भारत पाकिस्तान की डीजीएमओ लेवल पर हुई बातचीत के बाद सीजफायर हुआ है। india pakistan ceasefire agreement | india pakistan ceasefire | donald trump