इससे पहले, 15 जून को फोर्डो क्षेत्र में 2.5 तीव्रता का एक हल्का भूकंप दर्ज किया गया था, जो इजरायली हवाई हमलों के बाद आया था।इन दोनों झटकों के स्थान और समय को लेकर अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों और मीडिया में परमाणु ठिकानों पर संभावित हमलों या गतिविधियों की अटकलें तेज हो गई हैं। दरअसल, हाल के दिनों में नतांज़, इस्फहान और फोर्डो जैसे परमाणु प्रतिष्ठानों पर इज़रायली हमलों की खबरें सामने आई थीं। सैटेलाइट तस्वीरों में भी कुछ नुकसान के संकेत देखे गए, जिससे इन क्षेत्रों में भूकंपीय गतिविधियों को संदेह की नजर से देखा जा रहा है।
सीमित क्षेत्र में ही महसूस होते हैं भूकंप के झटके
भूकंप विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसियों का मानना है कि ये झटके पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ईरान Alpine-Himalayan Seismic Belt पर स्थित है, जहां हर साल औसतन 2,000 से अधिक भूकंप आते हैं। इनमें से 15 से 16 भूकंप की तीव्रता 5 या उससे ऊपर होती है। USGS और CTBTO जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के अनुसार, परमाणु विस्फोट भूकंपीय तनाव को जन्म दे सकते हैं, लेकिन इनके कारण पैदा होने वाले झटके कम तीव्रता के होते हैं और सीमित क्षेत्र में ही महसूस होते हैं। वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि प्राकृतिक भूकंप में P-वेव और S-वेव दोनों पाई जाती हैं, जबकि न्यूक्लियर ब्लास्ट मुख्यतः P-वेव उत्पन्न करता है।
भूकंप प्राकृतिक गतिविधियों के अनुरूप
बार्कले सिस्मोलॉजी लैब और नेशनल जियोग्राफिक के अनुसार, भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण करके यह स्पष्ट किया जा सकता है कि झटका प्राकृतिक था या कृत्रिम। CTBTO और स्वतंत्र विशेषज्ञों के प्रारंभिक विश्लेषण के मुताबिक, सेमनान और फोर्डो के हालिया भूकंप प्राकृतिक गतिविधियों के अनुरूप हैं। इससे पहले भी, भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान ऐसे ही अफवाहें फैली थीं। iran | Iran Israel conflict 2025