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MJ Akbar spoke in Belgium: आतंकवाद पर यूरोप की चुप्पी दोहरा चरित्र, भारत की कार्रवाई पर सवाल क्यों?

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में यूरोपीय दौरे पर गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बेल्जियम में आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया। एमजे अकबर आतंकवाद पर यूरोप की चुप्पी पर जमकर बरसे।

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Dhiraj Dhillon
MJ Akbar

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जागरूक करने के उद्देश्य से भेजा गया भारतीय प्रतिनिधिमंडल इन दिनों यूरोप दौरे पर है। बुधवार को यह दल बेल्जियम में मौजूद था, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने आतंकवाद पर पश्चिमी देशों की चुप्पी और दोहरे मानदंडों को आड़े हाथों लिया। अकबर ने कहा कि यूरोप और अमेरिका आतंकवाद पर सिर्फ दर्शक बने हुए हैं जबकि भारत को संयम बरतने की सलाह दी जाती है। उन्होंने इस रवैये को दुनिया के लिए दोहरे मापदंड करार दिया।

"भारत के लिए संयम, अमेरिका के लिए बदला?"

All Party Delegation: MJ Akbar ने बेल्जियम में आयोजित एक कार्यक्रम में तीखा सवाल पूछा- क्या इस दुनिया में दो कानून हैं? एक अमेरिका और पश्चिम के लिए और दूसरा भारत के लिए? अमेरिका 9/11 के बाद 12,000 किलोमीटर दूर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कार्रवाई करता है तो कोई कुछ नहीं बोलता, लेकिन भारत जब अपने पड़ोस में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो उसे संयम की नसीहत दी जाती है।"

"भारतीय जीवन भी उतना ही कीमती"

अकबर ने आगे कहा कि भारतीयों की जान भी उतनी ही कीमती है जितनी किसी अमेरिकी या यूरोपीय नागरिक की। क्या एक भारतीय विधवा के आंसू, अमेरिकी विधवा के आंसुओं से कम दर्दनाक हैं? क्या भारतीय जीवन कम कीमती है?" उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोप को अब इस विषय पर कठोर सवालों का सामना करना होगा और जवाब देना होगा।

यूरोप में भारत की आतंकवाद विरोधी कूटनीति

भारत का यह प्रतिनिधिमंडल पहले ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और डेनमार्क की यात्रा कर चुका है। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, सीमा पार घुसपैठ और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा। रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में भेजा गया यह प्रतिनिधिमंडल भारत के वैश्विक आतंकवाद विरोधी अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है कि पश्चिमी देशों की निष्क्रियता को उजागर कर उन्हें एकजुट कर दबाव बनाया जाए।

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