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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने समझौते के "करीब" होने का संकेत दिया है।
अमेरिकी मीडिया और पॉलिसी सर्किल में अमेरिका-भारत व्यापार समझौता की चर्चा जोरों पर है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के बाद किसी देश के साथ होने वाली यूएस की यह पहली ट्रेड डील हो सकती है।
अमेरिकी ट्रेड वार्ताकार जेमिसन ग्रीर ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि यह अंतिम चरण है, (लेकिन) यह इसके करीब है।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत के ट्रेड मंत्री के साथ मेरी बातचीत चल रही है। मैंने अपनी टीम एक सप्ताह के लिए भारत भेजी थी। वे पिछले सप्ताह यहां आए थे और मैंने उनके मुख्य वार्ताकार से मुलाकात भी की थी।"
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के बारे में पूछे जाने पर ग्रीर ने दोनों पक्षों के बीच ट्रे़ड बातचीत की रूपरेखा की घोषणा का जिक्र किया।
पिछली डील क्यों अटकी?
ग्रीर अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस में एक सीनियर अधिकारी हैं। ग्रीर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव रॉबर्ट लाइटहाइजर के चीफ ऑफ स्टाफ थे। उस समय वह अमेरिका और भारत व्यापार समझौता के अंतिम चरण के बहुत करीब पहुंच गए थे।
फरवरी 2020 में ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान समझौता होने की उम्मीद थी, लेकिन अंतिम समय में बात नहीं बनी। भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका पर "बार-बार लक्ष्य बदलने" का आरोप लगाया था।
ग्रीर मौजूदा बातचीत के दौर में दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार समझौते को लेकर कहीं अधिक आशावादी दिखे। उनके मुताबिक, वे सबसे आगे दिख रहे हैं और अमेरिका की रणनीति सबसे महत्वाकांक्षी प्रस्तावों के साथ आगे बढ़ने की रही है।
फिलहाल, ट्रंप ने अपने व्यापारिक साझेदार देशों के साथ समझौता करने के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की रोक लगा दी है। क्या यह रोक स्थायी होगी, या फिर भारत के साथ डील होने के बाद इसे पूरी तरह से हटा लिया जाएगा? इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
भारत-अमेरिका में कितना व्यापार
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है।
2022-23 में व्यापार : द्विपक्षीय व्यापार 128.55 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें भारत का निर्यात 78.31 बिलियन डॉलर और आयात 50.24 बिलियन डॉलर रहा।
2024 में व्यापार: एक X पोस्ट के अनुसार, 2021 से 2024 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा, जिसमें भारत का निर्यात 36.33 बिलियन डॉलर (लगभग 3,15,889 करोड़ रुपये) और आयात 29.86 बिलियन डॉलर (लगभग 2,59,632 करोड़ रुपये) था।
वृद्धि: 2007 में व्यापार 58 बिलियन डॉलर था, जो 2017 में बढ़कर 126 बिलियन डॉलर हो गया। 2030 तक दोनों देश इसे दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखते हैं।
प्रमुख निर्यात (भारत से): पेट्रोलियम, पॉलिश्ड हीरे, दवाएं, आभूषण, फ्रोजन झींगा।
प्रमुख आयात (अमेरिका से): पेट्रोलियम, कच्चे हीरे, तरल प्राकृतिक गैस, सोना, कोयला, बादाम
इस डील से भारत को क्या लाभ मिलेगा?
रणनीतिक लाभ:
यह समझौता भारत को अमेरिका के साथ अन्य विकसित देशों (जैसे ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जापान) के समान दर्जा दिला सकता है, जिससे भारत की वैश्विक व्यापार वार्ताओं में स्थिति मजबूत होगी।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाकर भारत अपने निर्यात को बढ़ा सकता है, जैसा कि UNCTAD की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इससे भारत के निर्यात में 3.5% की वृद्धि हो सकती है।
निर्यात में वृद्धि:
कपड़ा, चमड़ा, आभूषण, वाहन पुर्जे, और स्मार्टफोन जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में शुल्क रियायतों से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। विशेष रूप से, चीनी सामानों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क (45% तक) का फायदा भारत को मिल सकता है, क्योंकि भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण:
भारत को दूरसंचार, AI, जैव प्रौद्योगिकी, और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में उन्नत तकनीकों तक पहुंच मिलेगी, जिससे नवाचार और तकनीकी बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग से भारत की औद्योगिक क्षमता बढ़ेगी।
आर्थिक विकास:
व्यापार समझौता भारत की वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में भागीदारी को मजबूत करेगा, जिससे विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। अमेरिकी निवेश (पिछले 4 वर्षों में 50 बिलियन डॉलर से अधिक) और बढ़ सकता है, जिससे भारत में रोजगार और GDP में योगदान बढ़ेगा।
उपभोक्ता लाभ:
कुछ अमेरिकी कृषि और खाद्य उत्पादों पर शुल्क कम होने से भारतीय उपभोक्ताओं को अधिक विविधता और सस्ते उत्पाद मिल सकते हैं।
चुनौतियां और सावधानियां
कृषि क्षेत्र: भारत के लिए सेब और सोया जैसे संवेदनशील कृषि उत्पादों पर शुल्क कटौती मुश्किल हो सकती है, क्योंकि यह घरेलू किसानों को प्रभावित कर सकता है।
व्यापार घाटा: अमेरिका भारत के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करना चाहता है, जिसके लिए वह भारतीय बाजारों में अधिक पहुंच की मांग कर सकता है।
चीन का प्रभाव: चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने वाले देशों को चेतावनी दी है, जो भारत के लिए भू-राजनीतिक जटिलताएं पैदा कर सकता है।
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