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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) पर तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय के निर्णय को पूरी तरह अवैध और निरर्थक बताते हुए सख्त लहजे में खारिज कर दिया है। यह प्रतिक्रिया उस समय आई है जब पाकिस्तान की ओर से हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इस ऐतिहासिक संधि को स्थगित कर दिया था। भारत ने साफ कर दिया है कि अब देश अपने संप्रभु हितों पर कोई समझौता नहीं करेगा। सिंधु जल संधि के बहाने पाकिस्तान आतंकवाद से ध्यान नहीं भटका सकता, भारत ने यह बात अब वैश्विक समुदाय को भी स्पष्ट कर दी है। हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने किशनगंगा और रातले हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं से संबंधित पाकिस्तान की आपत्तियों पर निर्णय सुनाया, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत ने कभी इस स्वघोषित मध्यस्थ को अपनी संप्रभुता में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं दिया। इस न्यायालय का गठन ही सिंधु जल संधि का उल्लंघन है।”
'जब तक आतंकवाद खत्म नहीं, संधि रहेगी स्थगित'
भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान आतंकी ढांचे और वित्तपोषण को खत्म नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि को पूरी तरह स्थगित रखा जाएगा। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, “भारत आतंकवाद को सहन नहीं करेगा, और यदि भारत में किसी आतंकी हमले के तार पाकिस्तान से जुड़ते हैं, तो जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रहेगा।” भारत की ओर से यह कड़ा कदम उस सिद्धांत के तहत लिया गया है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार दोहरा चुके हैं, "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।" भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को पीड़ित दिखाने और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ‘फर्जी मध्यस्थता प्रक्रिया’ का सहारा ले रहा है। भारत ने कहा कि यह पाकिस्तान की पुरानी रणनीति का हिस्सा है - आतंकवाद फैलाओ और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करो।
सिंधु जल संधि के बारे में जानिए
India suspends Indus water treaty: 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी इस संधि के तहत भारत ने छह नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच साझा करने पर सहमति जताई थी। तीन पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम और चिनाब) पाकिस्तान को दी गईं, जबकि तीन पूर्वी नदियां (ब्यास, सतलुज और रावी) भारत को मिली थीं।