नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने
पाकिस्तान को हर मोर्चे पर जवाब देने की रणनीति अपनाई है। इसी क्रम में भारत ने ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को तोड़ते हुए चेनाब नदी का पानी रोक दिया है, जिससे पाकिस्तान को ग्रीष्मकाल में भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। भारत ने चेनाब पर स्थित बगलिहार डैम के फाटक बंद कर दिए हैं, जिससे नदी का बहाव दूसरी दिशा में मुड़ गया है। यह वही चेनाब है जिससे पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र की कृषि निर्भर रहती है। अब यह नदी सीमित प्रवाह में बह रही है, जिससे नहरें सूखने और सिंचाई बाधित होने की आशंका है।
किशनगंगा-रतले प्रोजेक्ट विवाद पर भारत का नया रुख
भारत ने किशनगंगा और रतले जल विद्युत परियोजनाओं पर चल रही वर्ल्ड बैंक की सुनवाई को भी रद्द करने की मांग की है। भारत का कहना है कि उसने खुद को सिंधु जल संधि से अलग कर लिया है, इसलिए विवाद
समाधान की प्रक्रिया का कोई औचित्य नहीं रह गया है। जल्द ही यह अनुरोध तटस्थ विशेषज्ञ को भेजा जाएगा, जिसकी एक प्रति वर्ल्ड बैंक को भी दी जाएगी।
जानिए क्या है पूरा मामला
पाकिस्तान ने किशनगंगा और रतले प्रोजेक्ट को लेकर
भारत के खिलाफ 2023 में वर्ल्ड बैंक में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद विशेषज्ञ मिशेल लिनो के नेतृत्व में एक मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू हुई। इस साल दिसंबर में विवाद स्थल का दौरा और कई दौर की वार्ताएं प्रस्तावित थीं। लेकिन भारत अब इस प्रक्रिया को स्थगित करना चाहता है, और अपनी संप्रभुता के तहत जल संसाधनों का नियंत्रण अपने हाथ में ले रहा है।
पाकिस्तान को तगड़ा झटका
इस कदम से पाकिस्तान को दोहरा झटका लगा है, एक तरफ पाकिस्तान को पानी की भारी किल्लत की आशंका से जूझना पड़ेगा, दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ने का खतरा। भारत के इस कड़े फैसले ने साफ कर दिया है कि आतंकी घटनाओं की कीमत अब पाकिस्तान को हर स्तर पर चुकानी पड़ेगी।
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