नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिका-कनाडा सीमा पर 2022 में हुई दुखद घटना में गुजरात के पटेल परिवार के चार सदस्य मारे गए थे। हत्या का यह जघन्य मामला अब न्याय के एक अहम पड़ाव पर पहुंचा है। अमेरिकी अदालत ने मानव तस्करी नेटवर्क के मास्टरमाइंड भारतीय मूल के 29 वर्षीय हर्ष कुमार रमनलाल पटेल को 10 साल और एक माह की जेल की सजा सुनाई है। मिनेसोटा की संघीय अदालत के न्यायाधीश जॉन टुनहेम ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि तस्करों ने निर्दोष लोगों को मौत के मुंह में धकेला और उन्हें बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया
कड़ाके की ठंड में हुई थीं चार मौतें
यह घटना 19 जनवरी, 2022 को हुई थी। गुजरात के डिंगुचा गांव निवासी जगदीश पटेल, उनकी पत्नी वैशालीबेन, बेटी विहंगी (11 वर्ष) और बेटा धार्मिक (3 वर्ष) ने माइनस 35 डिग्री तापमान में कनाडा से
अमेरिका में अवैध प्रवेश करने की कोशिश की थी। ठंड न सह पाने के कारण सभी की मौत हो गई।
नवंबर, 2024 में जूरी ने हर्ष कुमार पटेल को मानव तस्करी और गैरकानूनी गतिविधियों का दोषी पाया था। अदालत ने हर्ष कुमार को 10 साल, एक माह की सजा सुनाई है। उसके साथी स्टीव एंथनी शैंड (50) को 6 साल 6 महीने की सजा दी गई है।
गुजराज के लोगों को कनाडा के वीजा पर भेजते थे अमेरिका
अदालत में पेश सबूतों और गवाहियों के मुताबिक हर्ष कुमार का रैकेट मुख्य रूप से गुजरात के लोगों को कनाडा का वीजा दिलाकर अमेरिका पहुंचाने में सक्रिय था। बर्फीली हवाओं में फंसने के बाद तीन साल के मासूम समेत परिवार के चार सदस्यों ने दम तोड़ दिया था। एक जीवित बचे शख्स यश पटेल ने गवाही में बताया कि उन्हें कनाडा की तरफ छोड़कर सीधी रेखा में चलने को कहा गया, अमेरिकी सीमा पर एक वैन उनका इंतजार कर रही थी। कुछ लोग वैन तक पहुंच गए, लेकिन बाकी लोग भयंकर बर्फबारी में फंस गए। पांच लोगों को बचाया गया, लेकिन एक व्यक्ति को एयरलिफ्ट कर अस्पताल ले जाना पड़ा।
जानिए डंकी रूट से कैसे कराया जाता है अवैध प्रवेश
अवैध तरीके विदेश जाने के लिए जो रास्ता अपनाया जाता है उसे ही डंकी रूट कहते हैं। डंकी शब्द पंजाबी भाषा के “डुंकी” से आया है, जिसका अर्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर “कूदना” होता है। सीमा नियंत्रण से बचने के लिए यह एक जोखिम भरी और लंबी यात्रा होती है। इसमें खराब मौसम, भूख, बीमारी, दुर्व्यवहार और कभी-कभी मौत का भी सामना करना पड़ता है। जिसका इस्तेमाल करते हुए लोग भारत से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे तमाम देशों में पहुंच जाते हैं।