नई दिल्ली,वाईबीएन डेस्क। इजराइल इस वक्त तीन मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है। दक्षिण में गाजा (हमास), उत्तर में लेबनान (हिज्बुल्लाह) और पूर्व में सीरिया से रॉकेट हमलों का खतरा। इसके अलावा यमन से हूती विद्रोही भी इजराइल पर ड्रोन हमले कर रहे हैं। यह हालात दुनिया को 57 साल पहले 1967 के छह दिवसीय युद्ध की याद दिला रहे हैं, जब इजराइल ने महज 6 दिन में तीन देशों को हरा दिया था। सवाल उठता है कि क्या इजराइल इस बार भी वही इतिहास दोहराएगा?
1967 की जंग क्यों हुई थी?
1967 का युद्ध यूं ही नहीं हुआ था। इसके पीछे कई कारण थे। सीरिया और इजराइल के बीच जल स्रोत को लेकर विवाद चल रहा था। सीरिया ने इजराइल के गलील सागर (Sea of Galilee) तक पानी पहुंचाने वाली नहरों को बंद करने की कोशिश की थी। इससे तनाव बढ़ा। मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासर ने इजराइल विरोधी बयान देना शुरू कर दिया। मिस्र ने अपने सैनिकों को इजराइल सीमा पर तैनात कर दिया और संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को हटाने की मांग कर दी।
मिस्र ने इजराइल के लिए बेहद जरूरी 'टिरान जलडमरूमध्य' (Straits of Tiran) को बंद कर दिया। यह इजराइल के लिए तेल और अन्य जरूरी सामान के लिए समुद्री रास्ता था। अरब देशों ने एलान कर दिया कि वे इजराइल को खत्म कर देंगे। जॉर्डन और सीरिया भी मिस्र के साथ मिल गए। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि इजराइल ने ‘पहले वार करो’ की नीति अपनाई और 5 जून 1967 को मिस्र पर हमला कर दिया।
कैसे जीता था इजराइल?
इजराइल की सेना ने ‘ऑपरेशन फोकस’ (Operation Focus) के तहत मिस्र की वायुसेना पर पहला हमला किया और 300 से ज्यादा मिस्र के फाइटर जेट को जमीन पर ही तबाह कर दिया। इसके बाद जॉर्डन और सीरिया पर भी हमला बोला और 6 दिन में तीनों देशों को हरा दिया।
1967 में इजराइल ने क्या-क्या कब्जा किया?
1967 के युद्ध में इजराइल ने तीन देशों से कई अहम इलाके अपने कब्जे में ले लिए थे। मिस्र से इजराइल ने पूरा सिनाई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी जीत ली। जॉर्डन से उसने वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया। वहीं, सीरिया से इजराइल ने गोलान हाइट्स नाम का ऊंचा इलाका छीन लिया। ये इलाके रणनीतिक रूप से बहुत जरूरी थे, क्योंकि इससे इजराइल की सीमा सुरक्षित हो गई थी। खासकर गोलान हाइट्स से दुश्मन आसानी से इजराइल के अंदर गोलीबारी कर सकता था, इसलिए उसे कब्जा कर लिया गया।
अब क्या हालात हैं?
इजराइल फिलहाल गाजा में हमास के खिलाफ जबरदस्त सैन्य कार्रवाई कर रहा है। इसके साथ ही उत्तरी सीमा पर लेबनान स्थित हिज्बुल्लाह के साथ रोज रॉकेट हमलों का आदान-प्रदान हो रहा है। सीरिया की सीमा से भी ईरान समर्थित लड़ाके हमले कर रहे हैं। यमन से हूती विद्रोहियों ने ड्रोन भेजकर हमला किया है। यानी इजराइल फिर से तीन मोर्चों पर घिरा हुआ है।
क्या इजराइल दोबारा इतिहास दोहरा सकता है?
हां भी और नहीं भी। सेना और तकनीक में इजराइल आज भी आगे है। उसके पास आयरन डोम (Iron Dome), डेविड स्लिंग जैसे एडवांस डिफेंस सिस्टम हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों का साथ भी इजराइल के पास है। लेकिन इस बार दुश्मन कोई नियमित सेना नहीं है, बल्कि गुरिल्ला युद्ध में माहिर आतंकी संगठन और मिलिशिया हैं। इन्हें हराना उतना आसान नहीं होगा जितना 1967 में मिस्र-जॉर्डन और सीरिया की सेना को हराना था। इसके अलावा ईरान जैसे बड़े खिलाड़ी का बैकअप भी इन संगठनों के पास है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मीडिया रिपोर्ट्स की रके मुताबिक, इजराइल के लिए यह युद्ध “धीमा और थकाऊ” साबित हो सकता है। Times of Israel लिखता है कि “1967 में इजराइल ने पेशेवर सेनाओं को हराया था, इस बार दुश्मन बिखरे हुए मगर लगातार हमला करने वाले गुट हैं।”
अन्य मीडिया रिपोर्ट बताती है कि “सीरिया और लेबनान से रॉकेट हमले इजराइल की सेना को विभाजित कर रहे हैं।”
क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है?
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी हालात विश्व युद्ध जैसे नहीं हैं, लेकिन अगर ईरान और अमेरिका सीधे टकरा गए तो तस्वीर बदल सकती है। इजराइल की जीत आसान नहीं होगी, लेकिन उसकी तैयारी और सैन्य ताकत मजबूत है। अगर ईरान खुलकर मैदान में उतरता है तो हालात और खतरनाक हो सकते हैं। फिलहाल पूरी दुनिया तेल अवीव और तेहरान के अगले कदम पर नजर गड़ाए बैठी है।
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