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अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी जारी की । एक्स
काबुल, आईएएनएस।अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी जारी की और भविष्य में किसी भी सैन्य हमले का कड़ा जवाब देने की कसम खाई है। अफगानिस्तान मीडिया के हवाले से बताया कि पाकिस्तान की तरफ से कुछ अनुचित और अस्वीकार्य मांगें रखीं, जिनमें काबुल से कथित तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय सशस्त्र लोगों को वापस बुलाने और उन पर नियंत्रण करने का आह्वान भी शामिल है, जिसे अफगान पक्ष ने अस्वीकार कर दिया। इसमें आगे कहा गया है कि अगर पाकिस्तान अफगान धरती पर हवाई हमले करता है तो अफगान सेना इस्लामाबाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। तुर्की में वार्ता इस्लामाबाद के पीछे हटने के बाद विफल हो गई। उधर, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए मदद की पेशकश की है।
सीमा पार हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा
बातचीत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए काबुल ने धमकी दी कि वह आगे सीमा पार हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने एरियाना न्यूज से बात करते हुए कहा कि किसी भी हमले का निर्णायक जवाब दिया जाएगा, जो पाकिस्तान के लिए एक सबक और दूसरों के लिए एक संदेश होगा।उन्होंने आगे कहा कि यह सच है कि हमारे पास परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन 20 साल के युद्ध के बावजूद न तो नाटो और न ही संयुक्त राज्य अमेरिका अफगानिस्तान को अपने अधीन कर पाया। अफगान राष्ट्र कभी किसी के आगे नहीं झुका।
संकट को कम करने के प्रयास विफल
यह घटनाक्रम हाल ही में अफगानिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा सीमा पार अभियान चलाने के बाद बढ़े तनाव के बीच हुआ है। रिपोर्टों से पता चलता है कि तुर्की में राजनयिकों और क्षेत्रीय मध्यस्थों द्वारा संकट को कम करने के प्रयास विफल हो गए हैं, जिससे डूरंड रेखा पर फिर से सैन्य टकराव की आशंका बढ़ गई है।विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि कोई भी जवाबी कार्रवाई पहले से ही नाजुक क्षेत्र को और अस्थिर कर देगी। इस्तांबुल में लगातार तीन दिनों तक चली पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच वार्ता क्षेत्रीय मध्यस्थता के प्रयासों के बावजूद कोई सफलता नहीं दिला पाई। मध्यस्थों ने स्वीकार किया कि दोनों देशों की स्थिति अभी भी एक-दूसरे से बहुत अलग है, क्योंकि दोनों पक्षों की अपेक्षाओं और प्राथमिकताओं में अंतर है।
समन्वय की कमी ने तनाव के और बढ़ने की चिंताएं पैदा कीं
अफगानिस्तान की प्रमुख समाचार एजेंसी खामा प्रेस ने जियो न्यूज की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इन मतभेदों के कारण दोनों देशों के अधिकारी बातचीत के दौरान कोई प्रगति नहीं कर पाए। दोनों देशों के बीच समन्वय की कमी ने तनाव के और बढ़ने की चिंताएं पैदा कर दी हैं। पाकिस्तान ने जोर देकर कहा है कि तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के खिलाफ कार्रवाई करना और इस समूह के लड़ाकों को अफगानिस्तान में पनाह लेने से रोकना किसी भी समझौते के लिए महत्वपूर्ण शर्तें हैं। पाकिस्तान टीटीपी विद्रोह को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मानता है।
ईरान मध्यस्थता को तैयार: पेजेशकियन
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए मदद की पेशकश की है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पेजेशकियन ने मंगलवार को कहा कि तेहरान मध्यस्थता के लिए तैयार है। इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी (आईआरएनए) की रिपोर्ट के अनुसार, पेजेशकियन ने मंगलवार को तेहरान में चौथे ईसीओ इंटीरियर मिनिस्टर्स मीटिंग से इतर पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी के साथ एक बैठक के दौरान ये बातें कहीं।
टकराव से बचने के प्रयासों की जरूरत
उन्होंने क्षेत्र में तनाव कम करने और टकराव से बचने के प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया और पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवादों को सुलझाने के लिए ईरान की तैयारी जाहिर की। उन्होंने आगे कहा, "आज, हम मुस्लिम देशों को इकट्ठा होकर अपने दुश्मनों के खिलाफ एक दूजे के साथ खड़ा होना पड़ेगा, ये बहुत जरूरी हो गया है।"ईरानी राष्ट्रपति की ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडलों के बीच बातचीत का नवीनतम दौर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है, जिसमें मध्यस्थों ने सुरक्षा चिंताओं पर किसी भी समझौते में बाधा डालने वाले कई मतभेदों को कारण बताया है।
विफलता दोनों देशों के बीच अविश्वास को दिखाती है
विश्लेषकों ने कहा है कि बातचीत की विफलता दोनों देशों के बीच अविश्वास को दिखाती है और सीमा पार उग्रवाद को रोकने में कठिनाई को दर्शाती है। उन्होंने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक गतिरोध से दोनों देशों में अस्थिरता का खतरा है।सीमा पर झड़पों के बाद, इस्लामाबाद ने चेतावनी दी है कि अगर टीटीपी आतंकवादियों के हमले जारी रहे तो वह अफगान क्षेत्र के अंदर सैन्य अभियान जारी रखेगा। सुरक्षा अधिकारियों ने जोर दिया है कि सीमा पर लोगों और सैन्य ठिकानों की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई जरूरी है।
बातचीत विफल रही तो "ओपन वॉर" होगा
पाकिस्तान-अफगानिस्तान बातचीत का पहला दौर, जिसकी मध्यस्थता कतर और तुर्की ने मिलकर की थी, 18-19 अक्टूबर को दोहा में हुआ था।जब दोनों प्रतिनिधिमंडल शांति वार्ता के दूसरे दौर के लिए इस्तांबुल में मिले, तो पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आक्रामक बयानबाजी जारी रखते हुए काबुल को चेतावनी दी कि अगर बातचीत विफल रही तो "ओपन वॉर" होगा।पाकिस्तानी मीडिया ने बताया कि इस्लामाबाद एक "थर्ड-पार्टी ओवरसाइट स्ट्रक्चर" भी स्थापित करना चाहता है, जिसकी सह-अध्यक्षता संभावित रूप से तुर्की और कतर करेंगे। Afghanistan Crisis | Afghanistan-Pakistan conflict | Afghanistan Pakistan Relations | Afghanistan Pakistan tension
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