इस्लामाबाद, वाईबीएन नेटवर्क।
लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान ने अब इससे उबरने के लिए खर्च में कटौती करने का रास्ता अख्तियार किया है। हालांकि फिलहाल वित्तीय संकट से पार पाने में उसे सफलता मिलती नहीं दिख रही है। अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने 60 फीसदी सरकारी पदों को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिससे लगभग डेढ़ लाख नौकरियां पर कैंची चलेगी।
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क्यों खत्म की जा रही हैं नौकरियां
पाकिस्तान के वित्तमंत्री मुहम्मद औरंगजेब के हवाले से न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बताया कि सरकार ने संबद्ध एजेंसियों की संख्या में आधी कटौती करने का फैसला किया है, इससे लगभग 1,50,000 नौकरियां खत्म हो जाएंगी। वित्तमंत्री ने कहा कि 80 विभागों को 40 में कंसोलिडेट किया गया है। सरकार ने खर्च को युक्तिसंगत बनाने तथा प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च में कटौती के उपाय किए जा रहे हैं।
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विभागों और मंत्रालयों का विलय
खर्च में कटौती के लिए विभागों और मंत्रालयों में विलय की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इसकी शुरुआत 2024 के मध्य में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में गठित एक समिति ने की थी। समिति को 43 मंत्रालयों और उनकी अधीनस्थ एजेंसियों की जांच करनी थी। मंत्री औरंगजेब ने कहा कि इन विभागों पर संघीय सरकार का वार्षिक खर्च नौ सौ अरब पाकिस्तानी रुपये है। उन्होंने कहा कि सरकार ने शुरू में जिन छह मंत्रालयों को सही आकार देने के लिए चुना था, उनमें कश्मीर मामले और गिलगित-बाल्टिस्तान, राज्य और सीमांत क्षेत्र (SAFRON), आईटी और दूरसंचार, उद्योग और प्रजनन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएं और राजधानी विकास प्राधिकरण (CAD) शामिल थे।
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कश्मीर मामलों के मंत्रालय का भी विलय
उन्होंने कहा कि कश्मीर मामलों के मंत्रालय, गिलगित-बाल्टिस्तान और SAFRON का विलय किया जा रहा है और सीएडी को खत्म किया जा रहा है। अस्पतालों को प्रांतीय प्रशासनों को ट्रांसफर करने की योजना पर वित्तमंत्री ने कहा कि यह केवल लागत में कटौती के बारे में नहीं है। यह एफिशिएंसी में सुधार के बारे में भी है। औरंगजेब ने कहा कि सरकार के व्यापक आर्थिक स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने से प्रमुख संकेतकों में सुधार करने में मदद मिली और विभिन्न सरकारी प्रयासों के कारण पाकिस्तान एक आशाजनक आर्थिक मोड़ पर खड़ा है।
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