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पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन का Trump के India- Pakistan मध्यस्थता वाले दावे पर कटाक्ष

पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने ट्रंप के भारत-पाकिस्तान में शांति के दावे पर कटाक्ष करते हुए कहा- ट्रंप ने शायद इंटरनेट का आविष्कार और कैंसर का इलाज भी किया हो।

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Dhiraj Dhillon
Michael Rubin

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पूर्व पेंटागन अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने आड़े हाथों लिया है। रुबिन ने ट्रंप के उस बयान पर तंज कसा जिसमें ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है। रुबिन ने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर ट्रंप से पूछें तो वह शायद कहें कि उन्होंने इंटरनेट का आविष्कार किया और कैंसर का इलाज भी खोज लिया। भारतीयों को उनके बयानों को अक्षरशः गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, जैसा अमेरिका में होता है।”
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अमेरिका करता है पर्दे के पीछे मध्यस्थता

रुबिन ने यह भी स्वीकार किया कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो अमेरिका आमतौर पर पर्दे के पीछे से मध्यस्थता करने की कोशिश करता है, ताकि दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश किसी बड़े संघर्ष की ओर न बढ़ें, जो पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सके।

ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य और कूटनीतिक जीत

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रुबिन ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से जवाबी हमले हुए, लेकिन भारत ने कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर स्पष्ट बढ़त हासिल की। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की सेना इस स्थिति से स्तब्ध है और वैश्विक ध्यान अब उसके आतंकवाद समर्थन की ओर गया है। रुबिन ने कहा, “जब पाकिस्तानी अधिकारी आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं, तो इससे साफ हो जाता है कि आईएसआई और आतंकी गुटों में कोई अंतर नहीं।” उन्होंने कहा कि दुनिया अब पाकिस्तान से यह मांग करेगी कि वह अपनी सिस्टम की सड़ांध को साफ करे।

पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए घबराया हुआ था

माइकल रुबिन ने पाकिस्तान की हालत का वर्णन करते हुए कहा, “पाक सेना संघर्ष विराम की कोशिश में डरे हुए कुत्ते की तरह भाग रही थी।” उन्होंने पाक सेना को समाज का कैंसर बताया और कहा कि वह एक सेना के रूप में पूरी तरह अक्षम हो चुकी है। रुबिन ने जोर देकर कहा कि यह संघर्ष भारत पर थोपा गया था। भारत शांति चाहता था, लेकिन देश को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने पड़े। आतंकी हमलों के खिलाफ कड़ा कदम उठाकर आखिरकार भारत ने वही किया जो उसे करना चाहिए था।
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