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Nepal जल रहा, France डगमगा रहा और Japan जूझ रहा : जानें इन 11 देशों में क्यों मची राजनीतिक उथल-पुथल? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।दुनियाभर में 11 से ज्यादा देशों का राजनीतिक सिंहासन डोल रहा है। श्रीलंका, बांग्लादेश तबाह हो चुके हैं। अब नेपाल जल रहा है, फ्रांस, जापान जैसे ताकतवर देशों में जनता का गुस्सा सरकार को हिला रहा है। इन देशों में राजनीतिक उथल-पुथल, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट ने आम लोगों को सड़क पर उतरने पर मजबूर कर दिया है, जिससे सरकारें बेहाल हैं और सत्ता डगमगा रही है। यह रिपोर्ट बताती है कि आखिर क्यों दुनिया के अलग-अलग कोनों में विरोध की आग भड़क रही है।
इन 11 देशों में डोल रहा है सत्ता का सिंहासन नेपाल ही नहीं, दुनिया के 11 देशों में सत्ता का सिंहासन डगमगा रहा है। नेपाल, फ्रांस और जापान जैसे बड़े देशों में भी हालात बेकाबू हैं। भले ही इन सभी देशों में राजनीतिक संकट के कारण अलग-अलग हों, लेकिन इसकी जड़ एक ही है: जनता का असंतोष। क्या है इन देशों में संकट का कारण? आइए जानते हैं...
नेपाल में लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है, कई मंत्री पद छोड़ चुके हैं और सोशल मीडिया पर से बैन हटा लिया गया है, लेकिन जेन जेड का गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं हुआ है।
युवा अब भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। नेपाल जैसा ही हाल इस समय दुनिया के कई और देशों का है, जिसमें यूरोप का ताकतवर देश फ्रांस, तकनीक के लिए मशहूर जापान, थाईलैंड और इंडोनेशिया के साथ-साथ मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के कई देश शामिल हैं। यह स्थिति इतनी गंभीर क्यों है? इन सभी देशों की समस्याएं भले ही अलग हैं, लेकिन उनकी जड़ें एक ही हैं: जनता का असंतोष।
नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन ने आग लगाई तो फ्रांस में बहुमत न मिलने के कारण राजनीतिक अस्थिरता फैल गई। जापान में आर्थिक चुनौतियों ने सत्ताधारी पार्टी की जमीन खिसका दी, जबकि थाईलैंड और इंडोनेशिया में अदालत के फैसले और टैक्स वृद्धि ने आम लोगों को भड़का दिया।
यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक वैश्विक ट्रेंड है, जहां लोग सरकारों की नीतियों और कुशासन के खिलाफ खड़े हो रहे हैं।
नेपाल: क्यों बेकाबू हुआ जेन जेड का गुस्सा? नेपाल की आर्थिक हालत पहले से ही खराब है और देश खरबों रुपये के कर्ज में डूबा है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता अक्सर सरकारों के निशाने पर रही है, लेकिन इस बार आंदोलन की कमान जेन जेड के हाथों में है।
इनका गुस्सा तब भड़का, जब अगस्त में सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब और X जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म भी शामिल थे। इस फैसले के बाद युवा सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शन हिंसक हो गए और इसमें दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई।
सरकार ने जल्दबाजी में सोशल मीडिया से बैन हटा लिया, लेकिन इससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। अब उनकी मांगें सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं हैं। वे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकारी पारदर्शिता की कमी पर जवाब मांग रहे हैं। पीएम ओली और कई मंत्रियों के इस्तीफे के बाद भी राजनीतिक उथल-पुथल जारी है।
सोशल मीडिया बैन ने युवाओं में असंतोष की आग भड़काई
फ्रांस: बहुमत नहीं, तो स्थिरता नहीं! यूरोप का सबसे ताकतवर देश माने जाने वाले फ्रांस में भी राजनीतिक संकट का दौर चल रहा है। पिछले तीन साल में यहां चार प्रधानमंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। हाल ही में पीएम फ्रास्वां बायरो ने नौ महीने में ही अपना पद छोड़ दिया। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यहाँ किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पा रहा है।
इस संकट की शुरुआत आर्थिक सुधारों के लिए की गई बजट कटौती से हुई। फ्रांस सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं में कटौती और राष्ट्रीय अवकाश की संख्या कम करने जैसे कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे जनता में भारी असंतोष है।
इसका नतीजा यह हुआ कि राष्ट्रपति मैक्रों की लोकप्रियता में 15% की कमी आई है। अब उनके सामने फिर से एक नया प्रधानमंत्री चुनने का मुश्किल काम है। संसद में विपक्ष द्वारा लगातार लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव ने उनकी मुश्किलों को और भी बढ़ा दिया है।
जापान: 70 साल पुरानी सत्ता की जमीन खिसकी जापान की राजनीति में इस बार के चुनाव ने पूरी तरह से बदलाव ला दिया है। सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की जमीन इस बार ऐसी खिसकी कि जापान भी इससे उबर नहीं पा रहा।
यह हार इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि पिछले 70 सालों से जापान में लगभग लगातार इसी दल का दबदबा रहा है। एलडीपी की इस अप्रत्याशित हार का कारण आर्थिक चुनौतियां, धीमी विकास दर और सरकारी विफलताओं को बताया जा रहा है। इन सबने मिलकर जनता में असंतोष पैदा किया और विपक्ष को मजबूती मिली।
पीएम शिगेरु इशिबा ने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब LDP को भविष्य के लिए नए चेहरों की तलाश है। पूर्व रक्षा मंत्री साने ताकाइची और युवा नेता शिंजिरो कोइजुमी को पार्टी के भविष्य का नेता माना जा रहा है। क्या रही मुख्य वजह? सरकार की आर्थिक नीतियों और धीमी विकास दर ने जनता का विश्वास खो दिया।
थाईलैंड: राजनीतिक वंशवाद बनाम न्यायपालिका थाईलैंड में न्यायपालिका और राजनीतिक वंशवाद के बीच टकराव की वजह से राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पीएम थाकसिन शिनावात्रा को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया और उनकी बेटी और वर्तमान पीएम पेटोंगटर्न शिनावात्रा को भी अयोग्य घोषित कर दिया।
इस फैसले ने जनता में गुस्सा भर दिया और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। थाईलैंड के इतिहास पर नज़र डालें तो पिछले कई दशकों से शिनावात्रा परिवार की राजनीति में लगातार खींचतान जारी है। वर्तमान में चार्नविराकुल ने देश की सत्ता संभाल ली है, लेकिन विरोध प्रदर्शन अभी भी थमे नहीं हैं।
संसद भी दो गुटों में बंटी हुई है और विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बना रहा है। क्या रही मुख्य वजह? न्यायपालिका का राजनीतिक फैसले लेना और वंशवाद के खिलाफ जनता का आक्रोश।
इंडोनेशिया: टैक्स वृद्धि ने बढ़ाई महंगाई और गुस्सा दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। हाल ही में उनकी सरकार ने आर्थिक सुधारों के तहत वैल्यू एडेड टैक्स को 11% से बढ़ाकर 12% कर दिया। इस बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ी और आम लोगों में गुस्सा फूट पड़ा।
राजधानी जकार्ता में लोगों ने संसद का घेराव किया। ये विरोध प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। सुबियांतो ने किसी तरह इन प्रदर्शनों को शांत तो किया है, लेकिन सरकार के खिलाफ गुस्सा अभी भी कायम है। विपक्ष भी लगातार संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी दे रहा है, जिससे सुबियांतो सरकार चारों तरफ से घिरी हुई है। क्या रही मुख्य वजह? महंगाई बढ़ाने वाले टैक्स सुधारों के खिलाफ जनता का गुस्सा।
इन 6 देशों में भी गहराया संकट दुनिया के कई और देशों में भी सरकारें जनता के असंतोष का सामना कर रही हैं।
माली: यहां राष्ट्रपति के कार्यकाल के विस्तार और राजनीतिक गतिविधियों पर रोक के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं। वे सैन्य तानाशाही खत्म करने और लोकतांत्रिक सुधारों की मांग कर रहे हैं।
मंगोलिया: प्रधानमंत्री के भ्रष्ट आचरण की वजह से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। तकरीबन 60,000 लोगों के विरोध के बाद पीएम एर्डेन ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन हालात अभी भी सुधरे नहीं हैं।
आर्मेनिया: विपक्षी नेताओं और चर्च के धर्मगुरुओं की गिरफ्तारी ने यहां के माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है, जिससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
लेबनान: पिछले दो साल के राजनीतिक तनाव और आर्थिक संकट ने जनता में असंतोष भर दिया है। यहां वित्तीय सुधारों को लेकर आए दिन विरोध प्रदर्शन होते रहते हैं।
सूडान और डी.आर. कॉन्गो: इन देशों में गृहयुद्ध, हिंसा और जातीय संघर्ष ने लाखों लोगों को विस्थापित किया है, जिससे सरकारें संकट में हैं।
नेपाल से फ्रांस तक, जापान से थाईलैंड तक - दुनिया के इन देशों में राजनीतिक उथल-पुथल के पीछे कई अलग-अलग कारण हैं, लेकिन उनका मूल एक ही है: जनता का असंतोष।
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, आर्थिक नीतियां और तानाशाही के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब सड़कों पर खुलकर सामने आ रहा है। यह एक वैश्विक पैटर्न है, जो दिखाता है कि अब दुनिया की जनता चुपचाप नहीं बैठेगी और सरकारों को जवाबदेह बनाएगी।
Global Political Crisis | Public Dissatisfaction | Anti Corruption Protests | Economic Challenges