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Nepal Gen Z Protest: कौन है Sudan Gurung, जिनसे डरकर भाग खड़ी हुई नेपाल सरकार! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नेपाल में युवाओं ने एक ऐतिहासिक आंदोलन छेड़कर पीएम ओली और राष्ट्रपति पौडेल को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है। यह सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म के खिलाफ एक नई क्रांति का आगाज़ है। 'हामी नेपाल' नामक एक एनजीओ के नेतृत्व में शुरू हुए इस प्रदर्शन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। आखिर कैसे मुट्ठी भर युवाओं ने शक्तिशाली सरकार को झुका दिया? नेपाल में आज का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है।
यह आंदोलन कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि साधारण युवा चला रहे हैं। 'हामी नेपाल' के संस्थापक सुदन गुरुंग के नेतृत्व में शुरू हुए इस जनसैलाब ने न सिर्फ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर किया, बल्कि अब राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने भी अपना पद छोड़ दिया है।
यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए 'जेन-जेड' युवा अपने देश की खस्ताहाल व्यवस्था से तंग आ गए। उन्होंने महसूस किया कि दशकों से चली आ रही भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) की संस्कृति ने देश को खोखला कर दिया है।
सोशल मीडिया को हथियार बनाकर अपनी आवाज बुलंद की
सोशल मीडिया बैन ने चिंगारी को आग में बदला जब सरकार ने 4 सितंबर, 2023 को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, तो इसने युवाओं की नाराजगी को और बढ़ा दिया। यह फैसला सरकार की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। युवाओं ने इस प्रतिबंध को उनकी आवाज दबाने की कोशिश माना और प्रदर्शनों ने उग्र रूप ले लिया।
8 सितंबर को काठमांडू की सड़कों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस ने आंसू गैस और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया, जिसमें कई लोग घायल हुए और कुछ ने अपनी जान भी गंवाई। इस हिंसा ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। जनता का आक्रोश चरम पर पहुंच गया।
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क्या था आंदोलनकारियों का मुख्य एजेंडा?
भ्रष्टाचार का जड़ से खात्मा: हर स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग।
नेपोटिज्म पर रोक: सरकारी नियुक्तियों और पदों पर योग्यता को प्राथमिकता देना, न कि पारिवारिक संबंधों को।
पारदर्शिता और जवाबदेही: सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना और जवाबदेही तय करना।
घायलों और मृतकों के लिए न्याय: हिंसक प्रदर्शन में घायल और मारे गए लोगों के परिवारों को न्याय और मुआवजा दिलाना।
हिंसा के बाद, सरकार ने प्रतिबंध तो हटा लिया और मुआवजे का वादा भी किया, लेकिन युवाओं के लिए यह पर्याप्त नहीं था। उनकी मांगें स्पष्ट थीं— जब तक भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म खत्म नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा। पीएम ओली का इस्तीफा और राष्ट्रपति ने भी पद छोड़ा आंदोलन की ताकत देखकर पहले ओली मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों ने इस्तीफे दिए।
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पीएम ओली के बाद राष्ट्रपति ने भी दिया इस्तीफा
9 सितंबर को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने खुद राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। लेकिन यह कहानी का अंत नहीं था। युवाओं के बढ़ते दबाव के कारण राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
यह न केवल नेपाल की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि संगठित और एकजुट युवा किसी भी सत्ता को चुनौती दे सकते हैं। 'हामी नेपाल' एनजीओ के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन ने नेपाल में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत की है। आज काठमांडू की सड़कों पर जश्न का माहौल है।
प्रदर्शनकारी अपनी जीत का जश्न मना रहे हैं। लेकिन, सवाल यह है कि क्या यह जीत सिर्फ इस्तीफों तक सीमित रहेगी या यह सचमुच नेपाल के भविष्य को बदल देगी? यह आंदोलन दुनिया भर के उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने-अपने देशों में व्याप्त समस्याओं से जूझ रहे हैं। नेपाल ने दिखा दिया कि जब युवा एक साथ आते हैं, तो वे सिर्फ बदलाव की बात नहीं करते, बल्कि उसे लाते भी हैं।
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