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Nepal : Gen-Z के तूफान में गिरी सरकार, कहानी पीएम पद गंवाने वाले केपी शर्मा ओली की | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । सोशल मीडिया पर बैन को लेकर उभरे विवाद ने नेपाल को गहरे संकट में डाल दिया है। नेपाली युवा जेन जेड अब सड़कों पर उतर चुका है। पूरे देश में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अलख युवाओं ने ऐसी जगाई कि अब रोके नहीं रूक रही है। सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ प्रदर्शन अब भ्रष्टाचार पर जंग तक पहुंच चुका है।
नेपाल सरकार के कई मंत्रियों का इस्तीफा हो चुका है। प्रदर्शनकारी मंत्रियों सहित सरकारी और राजनेताओं के आवास, कार्यालयों में जहां तोड़फोड़ कर रहे हैं तो वहीं आगजनी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। साथ ही अब युवा प्रदर्शनकारियों की डिमांड है कि प्रधानमंत्री इस्तीफा दें।
हालांकि इस समस्या के निपटने के लिए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सभी दलों के साथ मीटिंग भी बुलाई तो है मगर, खबर मिल रही है कि प्रधानमंत्री ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इन सबसे यह पता चलता है कि ओली अपने सबसे कठिन राजनीतिक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन हैं नेपाल के निवर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और कैसा है इनका राजनैतिक करियर।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 14 साल जेल में बिताने से लेकर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। अपनी राष्ट्रवादी छवि और भारत के प्रति कभी नरम तो कभी गरम रुख के कारण वह हमेशा सुर्खियों में रहे। आइए, उनके राजनीतिक करियर की गहराई से पड़ताल करते हैं।
केपी शर्मा ओली जो नेपाल के सबसे शक्तिशाली राजनेताओं में से एक है। इनका जन्म 22 फरवरी 1952 को पूर्वी नेपाल के तेरथुम जिले में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दादी के पास हुई, दादी ने ही उन्हें बचपन से जीवन के कठिन पाठ पढ़ाए। महज 12 साल की उम्र में केपी शर्मा ओली कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीति की ओर आकर्षित हुए और 1966 तक उन्होंने अपनी जगह कम्युनिस्ट पार्टी में बना ली।
साल 1970 में 18 साल की उम्र में केपी शर्मा ओली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए और राजशाही के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय हो गए। इस दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार भी किया गया। उनका सबसे लंबा कारावास साल 1973 से 1987 तक चला, जब उन्होंने 14 साल जेल में बिताए। ये साल उनकी राजनीतिक विचारधारा को और मजबूत करने वाले साबित हुए।
राजनीति में उदय और सत्ता का स्वाद
जेल से रिहा होने के बाद ओली ने अपनी राजनीतिक सक्रियता जारी रखी और साल 1990 के दशक में हुए लोकतांत्रिक आंदोलन में उनकी भूमिका ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता बना दिया। निरंकुश पंचायत शासन को समाप्त करने के इस आंदोलन ने उन्हें देशभर में पहचान दिलाई।
पहली बार सांसद: 1991 में वे झापा जिले से पहली बार प्रतिनिधि सभा के सदस्य चुने गए।
गृह मंत्री: 1994-1995 तक वे गृह मंत्री के पद पर रहे, जिसने उन्हें सरकार चलाने का अनुभव दिया।
उप प्रधानमंत्री: 2006 में गिरिजा प्रसाद कोइराला की अंतरिम सरकार में उन्होंने उप प्रधानमंत्री की भूमिका निभाई। ये सभी पद उनके राजनीतिक कद को लगातार बढ़ाते रहे।
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प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल : भारत से तल्ख रिश्ते
केपी शर्मा ओली पहली बार 11 अक्टूबर 2015 से 3 अगस्त 2016 तक नेपाल के प्रधानमंत्री बने। यह वही समय था जब नेपाल ने अपना नया संविधान अपनाया और देश में आंतरिक अशांति चरम पर थी। इसी दौरान भारत ने सीमा पर एक अनौपचारिक नाकाबंदी कर दी जिससे नेपाल में आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई।
इस संकट के समय ओली ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने भारत पर नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया और चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया। इस कार्यकाल में उनकी राष्ट्रवादी छवि और भी निखर कर सामने आई। हालांकि, उन्हें जल्द ही इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि संसद में अविश्वास प्रस्ताव हार गए।
दूसरी बार, केपी शर्मा ओली 15 फरवरी 2018 को प्रधानमंत्री बने। इस बार वे सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी सेंटर के गठबंधन के नेता थे। इस गठबंधन को साल 2018 के चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला था। ओली के इस कार्यकाल में भारत और नेपाल के रिश्ते फिर से तनावपूर्ण हो गए। उनकी सरकार ने एक नया मानचित्र प्रकाशित किया जिसमें भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया।
भारत ने इस कदम को "एकतरफा" बताया। ओली के इस कदम ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया। सत्ता का खेल और सुप्रीम कोर्ट का फैसला ओली का दूसरा कार्यकाल भी उतार-चढ़ाव भरा रहा।
साल 2020 में पार्टी के भीतर चल रहे विवादों के कारण उन्होंने अचानक संसद को भंग कर दिया। ओली के इस कदम को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलट दिया।
केपी शर्मा ओली तीसरी बार 14 मई 2021 को नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें यह पद तब मिला जब वह संसद में विश्वास मत हार गए थे, लेकिन विपक्षी पार्टियां भी नई सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करने में विफल रहीं।
मई 2021 में, विश्वास मत हारने के बाद भी उन्हें अनुच्छेद 76(3) के तहत फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया क्योंकि कोई भी विपक्षी दल बहुमत साबित नहीं कर पाया। हालांकि, 13 जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से उनके खिलाफ फैसला सुनाया और उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया। कोर्ट ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का निर्देश दिया।
वर्तमान समय में केपी शर्मा ओली 15 जुलाई 2024 से नेपाल के प्रधानमंत्री रहे। अब 9 सितंबर 2025 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि ओली को नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
यह उनका चौथा कार्यकाल रहा। उन्हें उनकी अपनी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और नेपाली कांग्रेस सहित अन्य दलों का समर्थन प्राप्त है।
ओली का राजनीतिक सफर दर्शाता है कि सत्ता का खेल कितना जटिल हो सकता है। एक तरफ जहां उन्होंने जेल में लंबा समय बिताकर अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की, वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के रूप में उनके फैसलों ने नेपाल की राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को गहराई से प्रभावित किया।
अब देखना यह कि नेपाल की राजनीतिक परिदृश्य किस करवट बैठती है। क्योंकि, प्रदर्शनकारियों की यह मांग भी पूरी हुई और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है।
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