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Nepal बना US-China जंग का नया अखाड़ा? समझें- Gen-Z की हिंसक क्रांति का पूरा गठजोड़! | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नेपाल में अचानक लगाया गया सोशल मीडिया बैन सिर्फ एक तकनीकी फैसला नहीं, बल्कि एक गहरी भू-राजनीतिक साजिश की परतें खोल रहा है। एक तरफ जहां सरकार ने अमेरिका के 26 प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, वहीं दूसरी ओर चीन का टिकटॉक धड़ल्ले से चल रहा है। इस फैसले ने सिर्फ डिजिटल दुनिया को ही नहीं, बल्कि नेपाल के जेन-जेड युवाओं को भी सड़क पर ला दिया है।
हालांकि नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने का ऐलान तो कर दिया है मगर, Gen-Z अभी सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। अब Gen-Z की मांग बढ़ गई है। आंदोलनकारी युवाओं का कहना है कि प्रधानमंत्री ओली अपने पद से इस्तीफा दें तब आंदोलन खत्म होगा। इससे यह स्पष्ट है कहानी सिर्फ विरोध प्रदर्शनों की नहीं, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच जारी वर्चस्व की एक नई लड़ाई की है, जिसका अखाड़ा अब नेपाल बन चुका है।
क्या नेपाल का भविष्य अब चीन के हाथों में है?
हाल ही में नेपाल सरकार ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और यूट्यूब सहित 26 अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार ने इसके पीछे यह तर्क दिया कि इन कंपनियों ने देश के नियमों का पालन नहीं किया और पंजीकरण नहीं कराया।
इस निर्णय का सीधा असर नेपाल की सबसे मुखर और डिजिटल रूप से सक्रिय पीढ़ी, Gen-Z पर पड़ा। हालांकि नेपाल सरकार ने प्रतिबंध हटा लिया है। लेकिन Gen-Z का आंदोलन अभी भी वहीं का वहीं है।
Gen-Z क्यों हुए आक्रोशित?
Gen-Z, यानी 1995 के बाद पैदा हुए युवा, जिनके लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति, सूचना और आजीविका का अभिन्न अंग है। सरकार के इस फैसले को उन्होंने अपनी आजादी पर हमला माना। उनका मानना है कि सरकार अपनी विफलताओं और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए संचार के इन माध्यमों को बंद कर रही है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार: युवाओं का कहना है कि यह उनकी आवाज दबाने की कोशिश है।
आजीविका का संकट: कई युवा सोशल मीडिया के जरिए अपनी कमाई करते थे, जो इस बैन से प्रभावित हुई।
लोकतंत्र पर सवाल: विरोध प्रदर्शनों से यह स्पष्ट है कि युवा सरकार के इस एकतरफा फैसले से नाराज हैं।
चीन को मिला सुनहरा मौका
जहां एक ओर अमेरिका के लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स पर ताला लगा, वहीं चीन के सबसे चर्चित ऐप, टिकटॉक पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा। यह स्थिति कई भू-राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चिंता का विषय बन गई है। जितनी अधिक अशांति नेपाल में होगी, उतनी ही केपी ओली सरकार चीन पर अधिक निर्भर होती जाएगी। पिछले कुछ सालों में नेपाल में चीन का दखल काफी बढ़ गया है।
नेपाल में राजशाही के अंत के बाद, जो भारत के करीब थी, नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। इस अस्थिरता का फायदा चीन ने उठाया है। चीनी सरकार के करीब मानी जाने वाली केपी ओली सरकार के इस फैसले को चीन के हित में देखा जा रहा है।
टिकटॉक जैसे चीनी प्लेटफॉर्म्स के जरिए सरकार विरोधियों की आवाजों और तस्वीरों को नियंत्रित कर सकती है। यह सिर्फ एक सोशल मीडिया बैन नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत नेपाल को चीन के पाले में धकेला जा रहा है।
अमेरिका और चीन की वर्चस्व की जंग नेपाल में हो रहे ये घटनाक्रम सिर्फ आंतरिक मुद्दे नहीं हैं। इनका सीधा संबंध अमेरिका और चीन के बीच चल रही वर्चस्व की जंग से है। नेपाल का सामरिक महत्व दोनों महाशक्तियों के लिए बहुत अधिक है।
चीन का बढ़ता प्रभाव: चीन नेपाल में भारी निवेश कर रहा है, खासकर बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में। यह निवेश नेपाल को कर्ज के जाल में फंसा सकता है और उसे चीन पर निर्भर बना सकता है।
अमेरिका की चिंता: अमेरिका नेपाल में चीनी प्रभाव को कम करना चाहता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध से अमेरिका की सॉफ्ट पावर को नुकसान पहुंचा है।
भारत का नजरिया: भारत के लिए भी यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि नेपाल उसका पड़ोसी है और इस क्षेत्र में चीन का बढ़ता दखल भारत के लिए चुनौती है।
क्या Gen-Z की क्रांति नेपाल का भविष्य तय करेगी?
नेपाल का Gen-Z अब सड़कों पर है, और यह सिर्फ सोशल मीडिया की वापसी की लड़ाई नहीं, बल्कि अपने भविष्य की लड़ाई है। वे जानते हैं कि यह बैन उनके डिजिटल और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करता है। उनके विरोध प्रदर्शनों में यह संदेश साफ है कि वे सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि अपनी आवाज और अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले नागरिक हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या Gen-Z का यह आंदोलन सरकार को अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर पाता है या फिर नेपाल पूरी तरह से चीन के भू-राजनीतिक खेल का मोहरा बन जाएगा। यह एक ऐसी लड़ाई है जो नेपाल के भविष्य के साथ-साथ इस क्षेत्र के भू-राजनीतिक संतुलन को भी प्रभावित करेगी।
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