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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क :नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार को सिंहदरबार में पदभार संभाल लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टीम सत्ता का स्वाद चखने नहीं आई है, बल्कि वे केवल संक्रमणकालीन सरकार के रूप में छह महीने के भीतर नई संसद को जिम्मेदारी सौंप देंगी। इस दौरान नेपाल के आर्मी चीफ भी उनके साथ मौजूद रहे।
जनता का सहयोग हमारे लिए बेहद जरूरी
सुशीला कार्की ने अपने पहले संबोधन में कहा कि हम यहां सत्ता का लाभ उठाने नहीं आए हैं, बल्कि देश को स्थिरता और लोकतंत्र की दिशा में ले जाना हमारी प्राथमिकता है। तोड़फोड़ और हिंसा में शामिल लोगों की निष्पक्ष जांच की जाएगी। जनता का सहयोग हमारे लिए बेहद जरूरी है।
युवाओं को बदलवा की उम्मीद
नेपाल में पीएम बनने के बाद युवाओं ने उम्मीद जताई कि सुशीला कार्की के नेतृत्व में देश में सकारात्मक बदलाव आएगा। युवाओं ने बेरोजगारी को सबसे बड़ी समस्या बताया और कहा कि बिना पारदर्शिता के प्रशासन की स्थिति असहनीय थी। संतोष नामक एक युवक ने बताया कि सरकारी दफ्तरों में हर छोटे काम के लिए घूस देने की परंपरा थी, जबकि बड़े नेताओं के काम आसानी से हो जाते थे। उन्होंने कह कि यह बदलाव अब समय की मांग बन चुका था। सुशीला कार्की के न्यायाधीश पद का अनुभव उम्मीद जगाता है कि प्रशासन पारदर्शी तरीके से चलेगा।" थापा नामक एक अन्य युवा ने भी Gen-Z नेतृत्व को सकारात्मक बताया और उम्मीद जताई कि अब नेपाल के लिए एक बेहतर भविष्य संभव हो पाएगा।
सामान्य होने लगे हालात
प्रधानमंत्री बनने के बाद सुशीला कार्की की कोशिशों से हालात सामान्य होते जा रहे हैं। लगभग 4-5 दिन के बाद नेपाल-भारत सीमा आम लोगों के लिए खोल दी गई है। अब छोटे वाहन आधार कार्ड दिखाकर सीमा पार कर सकते हैं, लेकिन भारी वाहन आवाजाही पर रोक अभी बनी हुई है। यह रोक इसलिए है क्योंकि भंडार कार्यालय को आग लगा दी गई थी, जिससे आवश्यक दस्तावेज़ और टैक्स वसूली असंभव हो गई। सीमा पार कर रहे नागरिकों का कहना है कि हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और उन्हें नेपाल जाने की अनुमति मिलने लगी है। हालांकि हिंसा में अब तक 61 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। आज सुबह काठमांडू के बौद्ध इलाके में भाटभटेनी सुपर स्टोर से छह शव बरामद किए गए हैं।
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