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Nimisha Priya को मिली जिंदगी, यमन ने रद्द की मौत की सजा

यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा पा चुकीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बड़ी राहत मिली है। यमन की अदालत ने उनकी मौत की सजा रद्द कर दी है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी, को बड़ी राहत मिली है। उनकी मौत की सजा रद्द कर दी गई है। यह जानकारी ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के संस्थापक और चर्चित ईसाई प्रचारक डॉ. केए पॉल ने मंगलवार रात यमन की राजधानी साना से एक वीडियो संदेश के जरिए दी।

भारत सरकार और पीएम मोदी का आभार

डॉ. पॉल ने बताया कि पिछले दस दिनों से भारतीय और यमनी नेताओं द्वारा किए गए सतत प्रयासों से यह सफलता हासिल हुई है। उन्होंने यमन के धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व का आभार जताते हुए कहा कि “यह उनकी प्रार्थनाओं और सकारात्मक पहल का नतीजा है। डॉ. पॉल ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की, जिन्होंने इस संवेदनशील मामले में कूटनीतिक प्रयासों में तेजी लाई। उन्होंने बताया कि निमिषा की भारत वापसी के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं और इसके लिए ओमान, मिस्र, जेद्दा, ईरान या तुर्की के जरिए लॉजिस्टिक मदद ली जा सकती है।

विदेश मंत्रालय की सक्रिय भूमिका

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने भी इस मामले में अहम भूमिका निभाई है। पिछले हफ्ते प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि यमन की जटिल कानूनी प्रक्रिया में निमिषा के परिवार की मदद के लिए एक वकील की नियुक्ति की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ‘दीया’ (मुआवजा) जैसे विकल्पों के जरिए समाधान तलाश रही है, जो इस्लामी कानून के तहत क्षमादान का तरीका है।

ग्रैंड मुफ्ती का मानवीय हस्तक्षेप

केरल के मुस्लिम धर्मगुरु और यमन के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बक्र अहमद कंथपुरम ने भी मामले में हस्तक्षेप करते हुए यमनी धार्मिक नेताओं से संवाद किया और निमिषा के लिए मानवीय आधार पर दीया (रक्त मुआवजा) की वकालत की। उन्होंने कहा कि यह मामला धर्म से परे है और इंसानियत का है। उनकी अपील के बाद यमन सरकार ने 16 जुलाई को तय फांसी की तिथि स्थगित कर दी थी।

व्यक्ति की हत्या का आरोप लगाया था

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37 वर्षीय निमिषा प्रिया, जो केरल की निवासी हैं, पर यमन की एक ट्रायल कोर्ट ने एक व्यक्ति की हत्या का आरोप लगाया था। नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। यह मामला केरल और भारत के नागरिकों के लिए भावनात्मक रूप से बेहद संवेदनशील बन गया था। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी थी और फांसी स्थगन को राहत भरा कदम बताया था।
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