नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिका के प्रमुख रक्षा विश्लेषक और मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट में अर्बन वारफेयर स्टडीज़ के प्रमुख जॉन स्पेंसर ने भारत की वायु रक्षा क्षमता की जोरदार प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान
भारत ने अपनी एयर डिफेंस की आधुनिक और एकीकृत रणनीति से वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाला है।
कागजी साबित किया चीनी सिस्टम
स्पेंसर ने कहा कि भारत न केवल अपने वायु क्षेत्र की बहुस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल रहा, बल्कि पाकिस्तान की ओर से तैनात चीनी मूल की एचक्यू-9/पी, एलवाई-80 और एफएम-90 जैसी वायु रक्षा प्रणालियों को भी निष्क्रिय कर दिया। उन्होंने इसे "कागजी ताकत की असलियत" करार दिया।
स्वदेशी और वैश्विक तकनीकों का मिला-जुला प्रदर्शन
स्पेंसर ने बताया कि
भारत की वायु रक्षा प्रणाली में आकाश और QRSAM जैसी स्वदेशी मिसाइलें, इस्राइली बराक-8 और रूसी S-400 जैसी आधुनिक प्रणालियों का एकीकृत संचालन शामिल है। यह दिखाता है कि देश की सुरक्षा इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आपने हथियार कहां से खरीदे, बल्कि इस पर निर्भर करती है कि आप उन्हें किस हद तक एकीकृत और कुशलता से प्रयोग करते हैं।
चीनी तकनीक भारत के सामने फेल
स्पेंसर के अनुसार पाकिस्तान द्वारा सीमा पर तैनात चीनी वायु रक्षा प्रणाली सिर्फ दिखावे की साबित हुई। भारत के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, काइनेटिक स्ट्राइक और रणनीतिक चपलता के संयुक्त उपयोग ने उन्हें पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया।
यूक्रेन युद्ध से मिली रणनीतिक प्रेरणा
रक्षा विशेषज्ञ ने यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए बताया कि कैसे बड़े भूभाग और शहरी संरचनाओं वाले देश केवल महंगे सिस्टम पर निर्भर नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि यूक्रेन जैसे देशों को पश्चिमी और सोवियत युग की तकनीकों, मोबाइल IRIS-T, MANPADS और गेपार्ड एंटी-एयरक्राफ्ट गन को भी एकीकृत करना पड़ता है। भारत की रणनीति भी इस एकीकरण का बेहतर उदाहरण है।