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Pakistan Nuclear Weapons Photograph: (YBN)
दिल्ली वाईबीएन नेटवर्क: डोनाल्ड ट्रंप भले ही 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ले लें, लेकिन दुनिया के कई देश ऐसे हैं जो ट्रंप के आने से चिंतित हैं। ट्रंप अपने बयानों से भी सुर्खियां बटोर रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ट्रंप के आने से दुनिया के समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे।
बढ़ सकती हैं पाकिस्तान की मुश्किलें
पाकिस्तान भी उन देशों में से एक है जो ट्रंप के आने से चिंतित नज़र आ रहे हैं। इसके कई कारण हैं जिनमें आतंकवाद पर ट्रंप का रुख, चीन पर ट्रंप का रुख, इमरान खान की रिहाई पर ट्रंप का बयान शामिल है। इन सब बातों के अलावा पाकिस्तान को जिस बात से सबसे ज़्यादा चिंता है, वो है उसका परमाणु कार्यक्रम।
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इस बारे में पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने आशंका जाहिर करते हुए कहा है कि अमेरिका के निशाने पर पाकिस्तान का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम है। विदेशी ताकतें पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को लेकर काफी चिंतित हैं।
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क्या है मामला ?
दरअसलइस मुद्दे ने तब तूल पकड़ा जब डोनाल्ड ट्रंप के दूत रिचर्ड ग्रेनेल ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग की. जिसके बाद पाकिस्तान का सत्तारूढ़ गठबंधन नाराज हो गया है। इस मामले पर बिलावल भुट्टो-जरदारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। बिलावल ने कहा कि जिन लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रची थी, आज वही लोग इमरान खान की रिहाई की बात कर रहे हैं। इमरान खान को आगे आकर इस मामले पर अपनी बात रखनी चाहिए। बिलावल ने आगे कहा कि "ऐसा लगता है कि एक लॉबी ऐसी सरकार लाना चाहती है जो परमाणु कार्यक्रम समेत किसी भी चीज पर समझौता करने को तैयार हो।"
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पाकिस्तान को क्यों लगता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम संकट में है। दरअसल, आतंकवाद के खिलाफ दुनिया एकजुट होती दिख रही है। ट्रंप की वापसी से एक बात तो तय है कि आतंकवाद के खिलाफ उनका रुख सख्त होने वाला है। ऐसे में कुछ नए गठबंधन भी बन सकते हैं जो आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। अब दुनिया को डर है कि अगर पाकिस्तान जैसा देश परमाणु शक्ति बना रहा तो वह भी आतंकियों के हाथों में जा सकता है। पाकिस्तान इस बात को अच्छी तरह जानता है कि अगर उन देशों के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने की कोई कोशिश की गई जहां से आतंकियों को परमाणु हथियार मिल सकते हैं तो सबसे पहले पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम खतरे में आ सकता है।
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