दिल्ली वाईबीएन नेटवर्क: राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मेक सुलिवन की 5-6 जनवरी की दो दिवसीय भारत की यात्रा के दौरान चीन सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे। अपनी इस यात्रा के दौराण वह भारत के NSA अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। खासतौर पर जिस तरह चीन मेकांग क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में बांधों का निर्माण कर रहा है, इससे भारत की चिंताएं बढ़ना लाजिमी है।
बाइडेन प्रशासन के प्रभावशाली ने अधिकारियों में शामिल
अमेरिकी NSA सुलिवन राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन के सबसे प्रभावशाली अधिकारियों में से एक रहे हैं। उन्होंने दुनियाभर में संघर्षों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यात्रा के दौरान सुलिवन विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य भारतीय नेताओं से मिलेंगे। अमरीकी NSA का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं।
चीन के बांधों पर होगी चर्चा
नई दिल्ली की यात्रा में वे भारतीय समकक्षों के साथ चीन द्वारा बनाए जा रहे बांधों के प्रभाव के बारे में चर्चा होगी। वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा वाशिंगटन और उसके पश्चिमी सहयोगी लंबे समय से भारत को एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मददगार के रूप में देखते रहे हैं। सुलिवन की यात्रा से पहले वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "हमने निश्चित रूप से इंडो-पैसिफिक में कई स्थानों पर देखा है कि मेकांग क्षेत्र सहित चीन द्वारा बनाए गए अपस्ट्रीम बांधों से डाउनस्ट्रीम देशों पर न केवल पर्यावरण को नुकसान हो सकता है, बल्कि जलवायु पर भी असर पड़ सकता है।" अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी इस मामले में भारत की चिंताओं से वाकिफ है और इस पर चर्चा होगी।
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भारत चीन को चिंताओं के करा चुका है अवगत
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का कहना है कि उसने तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी पर जलविद्युत बांध बनाने की चीन की योजना के बारे में बीजिंग को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है। यह नदी भारत से होकर बहती है। हालांकि चीन के अधिकारियों ने सफाई दी है कि तिब्बत में जलविद्युत परियोजनाओं का पर्यावरण या नीचे की ओर जलापूर्ति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। बीजिंग का कहना है कि यह दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा बांध होगा, जिसकी अनुमानित क्षमता सालाना 300 बिलियन किलोवाट-घंटे बिजली होगी। इसे चीन की शी जिनपिंग सरकार ने पिछले माह ही स्वीकृत दी। अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि वाशिंगटन को उम्मीद है कि इस यात्रा में असैन्य परमाणु सहयोग, एआई, अंतरिक्ष, सैन्य लाइसेंसिंग और चीनी आर्थिक अतिक्षमता जैसे विषयों को भी उठाया जाएगा।
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दलाई लामा से नहीं मिलेंगे एनएसए
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी इस यात्रा के दौरान दलाईलामा से नहीं मिलेंगे। उल्लेखनीय है कि अमिरका और भारत ने हाल के वर्षों में घनिष्ठ संबंध बनाए हैं। हालांकि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार, यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बीच रूस के साथ नई दिल्ली के संबंध तथा अमेरिकी और कनाडाई धरती पर सिख अलगाववादियों के खिलाफ कथित हत्या की साजिश जैसे मुद्दों पर मतभेद भी उभर कर सामने आए हैं।
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