नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक बार फिर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर अत्याचार का मामला सामने आया है। सिंध के शाहदादपुर शहर से चार हिंदू भाई-बहनों – जिया बाई (22 वर्ष), दिया बाई (20 वर्ष), दिशा बाई (16 वर्ष) और उनके चचेरे भाई हरजीत कुमार (13 वर्ष) – का अपहरण कर जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाया गया। इस घटना ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर फिर से गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत सहित कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान सरकार से न्याय की मांग की है।
हिंदू समुदाय ने किया विरोध प्रदर्शन
इस घटना के बाद हिंदू समुदाय ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया और मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज उठाई। जनता के दबाव में प्रशासन ने बच्चों को बरामद तो कर लिया, लेकिन आरोपी फरहान खासखेली और अन्य को अदालत ने बरी कर दिया।
कोर्ट का चौकाने वाला आदेश
इस मामले में अदालत ने दो बालिग लड़कियों – जिया और दिया – को सेफ हाउस भेज दिया, जबकि दिशा और हरजीत की कस्टडी के लिए उनके माता-पिता से 10-10 मिलियन पाकिस्तानी रुपये (लगभग 1-1 करोड़) का बॉन्ड भरवाया गया। अदालत ने शर्त रखी कि अगर वे बच्चे घर लौटते हैं तो उन्हें इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार ही पालना होगा और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे दोबारा हिंदू धर्म न अपनाएँ।
जानिए मां की व्यथा
हरजीत की मां ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना दर्द बयां किया। उन्होंने रोते हुए कहा, “मेरा बेटा सिर्फ 13 साल का है, उसे धर्म की क्या समझ? मेरी बेटियों को मुझसे छीन लिया गया। मैं सिर्फ अपने बच्चों को वापस चाहती हूं।” उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी से मदद की गुहार भी लगाई।
कैसे हुआ अपहरण?
परिवार के अनुसार, बच्चों के अपहरण के पीछे एक स्थानीय कंप्यूटर टीचर फरहान खासखेली का हाथ था। वह जिया और दिया को एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाता था और धीरे-धीरे उनसे दोस्ती कर ली। उसने नौकरी और बेहतर जीवन का लालच देकर चारों बच्चों को अगवा कर करांची ले गया। कुछ ही घंटे बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें बच्चे कह रहे थे कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्लाम अपनाया है। लेकिन परिवार का आरोप है कि बच्चों को डरा-धमकाकर जबरन ऐसा बयान दिलवाया गया।
जबरन धर्म परिवर्तन, कोर्ट ने आरोपी बरी किया
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शाहदादपुर में जिया (22), दिया (20), दिशा (16) और हरजीत (13) का अपहरण कर जबरन इस्लाम कबूल कराया गया। परिवार ने कंप्यूटर टीचर फरहान खासखेली पर आरोप लगाया, जिसने नौकरी और बेहतर जीवन का लालच देकर बच्चों को अगवा किया। विरोध के बाद बच्चों को हैदराबाद से बरामद किया गया, लेकिन कोर्ट ने फरहान समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। बालिग लड़कियों को सेफ हाउस भेजा गया, जबकि नाबालिगों को परिजनों को सौंपने के लिए कोर्ट ने 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का बॉन्ड भरवाया। हिंदू समुदाय ने इसे ‘सांस्कृतिक आतंकवाद’ करार देते हुए विरोध जताया और न्याय की माँग की।