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अब हम खामोश नहीं रहेंगे, हर जुल्म का हिसाब होगा, तिराह घाटी में पाक सेना के जुल्म पर भड़के लोग

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी में पाकिस्तानी वायुसेना द्वारा किए गए हमले में महिलाओं और बच्चों समेत लगभग 30 नागरिकों की मौत हो गई। इस घटना के बाद इलाके में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है।

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Ranjana Sharma
Manali (78)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: पाकिस्तान वायु सेना द्वारा सोमवार को अपने ही लोगों पर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी में किए गए हमले ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। पाकिस्तानी एयरफोर्स द्वारा जेएफ-17 लड़ाकू विमानों से किए गए हमले में महिलाओं और बच्चों समेत करीब 30 नागरिकों की मौत हो गई, जिससे स्थानीय लोगों में भारी रोष फैल गया है। हवाई हमले के बाद इलाके में आक्रोश भड़क गया है और लोग लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। पीड़ित परिवारों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है और पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है।

हम खामोश नहीं रहेंगे, हर ज़ुल्म का हिसाब होगा

खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा के सदस्य अब्दुल गनी अफरीदी ने पीड़ितों के समर्थन में मोर्चा संभालते हुए कहा कि  यह आंदोलन इस बात का संकेत है कि अब निर्दोष नागरिकों पर हो रहे जुल्म को और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हवाई हमलों में मारे गए लोगों का खून न्याय मांग रहा है, और जब तक पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिलेगा, यह संघर्ष जारी रहेगा। अब्दुल गनी अफरीदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर नरसंहार की तस्वीरें और वीडियो साझा कर अमेरिका समेत वैश्विक समुदाय का ध्यान खींचने की कोशिश की। उन्होंने लिखा कि  ऊपरी तिराह अकाखेल में पाकिस्तानी वायुसेना की बमबारी ने तबाही मचा दी है। बच्चों की लाशें, मलबे में दबे सपने, माताओं की चीखें... यह सब एक ही सवाल पूछ रहे हैं  क्या ये मासूम भी आतंकवादी थे ?

यह मानवता के खिलाफ है

अफरीदीने इस हमले को मानवता के खिलाफ खुला अपराध करार देते हुए कहा कि जैसे गाजा, फिलिस्तीन और कश्मीर के लिए आवाज उठाई जाती है वैसे ही तिराह घाटी के लोगों के लिए भी वैश्विक समर्थन जरूरी है। यह अत्याचार इतिहास के माथे पर एक ऐसा धब्बा है जिसे कभी नहीं मिटाया जा सकता। यह केवल तिराह की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान में मानवाधिकारों के पतन की गवाही है। उन्होंने चेतावनी दी कि शहीदों के खून का हिसाब मांगा जाएगा और उनके परिवारों को न्याय दिलाने की लड़ाई हर मंच पर लड़ी जाएगी।

विश्व समुदाय की ओर उम्मीद भरी निगाहें

तिराह घाटी के पीड़ित अब अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की आस लगाए बैठे हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक शांति को अपना प्राथमिक लक्ष्य बताया था और कहा था कि उन्होंने आठ महीनों में सात युद्धों को सुलझाया है। अब खैबर पख्तूनख्वा के लोग भी उसी शांति की उम्मीद में दुनिया की ओर देख रहे हैं।

Khyber Pakhtunkhwa Militants

इनुपट-आईएएनएस

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