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Nepal Gen-Z Protest के बीच PM ओली को बड़ा झटका, गृह मंत्री के बाद कृषि मंत्री ने भी दिया इस्तीफा

काठमांडू में कर्फ्यू के बावजूद युवाओं का प्रदर्शन जारी। सोमवार की हिंसा में 19 मौतें हुईं। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया शटडाउन के विरोध में उतरे युवा। सरकार की दमनकारी कार्रवाई के खिलाफ एकजुट, न्याय की मांग।

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Ajit Kumar Pandey
Nepal Gen-Z Protest के बीच PM ओली को बड़ा झटका, गृह मंत्री के बाद कृषि मंत्री ने भी दिया इस्तीफा | यंग भारत न्यूज

Nepal Gen-Z Protest के बीच PM ओली को बड़ा झटका, गृह मंत्री के बाद कृषि मंत्री ने भी दिया इस्तीफा | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । नेपाल की राजधानी काठमांडू में अभी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। संसद भवन के बाहर मंगलवार सुबह से ही प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री केपी ओली के खिलाफ Gen-Z नारेबाजी कर रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं। राजधानी में सुबह से कर्फ्यू हटा लिया गया है। लेकिन, राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति निवास, प्रधानमंत्री आवास, सिंह दरबार और संसद भवन के आसपास प्रतिबंध जारी है। 

बताया जा रहा है कि मंत्री निवास और प्रमुख दलों के दफ्तरों के आस पास सुबह 7 बजे से रात 12 बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा। खबर के मुताबिक सोमवार को ही आईटी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरंग ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया गया है। अब इन्हें धीरे धीरे बहाल कर दिया जाएगा। 

द काठमांडू पोस्ट, कांतिपुर और हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी काठमांडू में एक बार फिर तनाव गहरा गया है, क्योंकि सैकड़ों की संख्या में Gen-Z सड़कों पर उतर आए हैं। यह विरोध प्रदर्शन सोमवार को हुई हिंसा के बाद और भड़का उठा है, जिसमें पुलिस की बर्बर कार्रवाई के कारण 19 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। 

युवाओं का यह आक्रोश अब एक बड़े आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है, जिसने सरकार की नींव हिला दी है। यह कोई आम विरोध नहीं, यह एक जन आक्रोश है यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक घटना का परिणाम नहीं है, बल्कि नेपाल के युवाओं में पनप रहे गहरे असंतोष का विस्फोट है। सोमवार को जब Gen-Z के युवा भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया शटडाउन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तभी सरकार ने उन पर अत्यधिक बल प्रयोग किया। 

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इस हिंसक कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 400 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना ने युवाओं के गुस्से को इस कदर भड़काया कि वे अब किसी भी तरह के प्रतिबंध को मानने को तैयार नहीं हैं। 

आई मंत्री के घर पर आगजनी 

राजधानी में विरोध प्रदर्शन के बीच सूचना एवं संचार मंत्री के निजी निवास पर एक भीड़ ने आग लगा दी। आरोप है कि सोशल मीडिया पर बैन लगाने के फैसले में आईटी मंत्री की अहम भूमिका रही जिसके चलते भीड़ ने गुस्सा निकाला। हालांकि आगजनी के फौरन बाद दमकल की गाड़ियां मौके पहुंचीं और आग पर काबू पाया। 

गृहमंत्री के बाद कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने दिया इस्तीफा 

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। गृहमंत्री के बाद अब कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि सोमवार को हुई हिंसक घटनाओं के बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। रामनाथ अधिकारी नेपाली कांग्रेस के कोटे से ओली मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे। उनके इस्तीफे को सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि, इससे सरकार के भीतर की असहमति और खुलकर सामने आ गई है। 

कर्फ्यू के साए में भी नहीं रुकी आवाज 

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सरकार ने इस बढ़ते आक्रोश को रोकने के लिए काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जिलों में कर्फ्यू लगा दिया। स्थानीय प्रशासन अधिनियम, 1971 के तहत सभी तरह के आवागमन, सभाओं और रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन यह पहली बार है कि Gen-Z युवाओं ने इन आदेशों की परवाह नहीं की। मंगलवार को भी, कर्फ्यू के बावजूद वे काठमांडू के न्यू बानेश्वर स्थित संघीय संसद भवन के पास स्वतःस्फूर्त रूप से इकट्ठा हो गए। इसके अलावा, कलांकी और चापागांव सहित कई अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 

Gen-Z आंदोलन के प्रमुख मुद्दे 

यह आंदोलन केवल एक हिंसक घटना का विरोध नहीं है, बल्कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। 

भ्रष्टाचार: युवाओं का आरोप है कि देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है और सरकार इस पर अंकुश लगाने में विफल रही है। 

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सोशल मीडिया शटडाउन: सरकार द्वारा सोशल मीडिया को बंद करने के कदम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है। 

अत्याचार के खिलाफ न्याय: सोमवार की घटना में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग सबसे प्रमुख है। 

आवाज दबाने का विरोध: युवा सरकार के दमनकारी रवैये के खिलाफ खड़े हैं। 

राजनीतिक प्रतिक्रिया: सबने की निंदा सोमवार की हिंसक घटना की आलोचना सिर्फ प्रदर्शनकारियों ने ही नहीं, बल्कि सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों ने की है। उन्होंने सरकार की कार्रवाई को 'दमनकारी' और 'अस्वीकार्य' करार दिया है।

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