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बीजिंग, वाईबीएन डेस्क : सितंबर में आयोजित 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस बार दुनिया भर की नजरें खास तौर पर फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने पर टिकी रहीं। कई देशों ने साफ कर दिया है कि वे इस महासभा के दौरान फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान करेंगे। यह कदम न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है, बल्कि दशकों से चले आ रहे इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को सुलझाने की दिशा में भी अहम साबित हो सकता है।
फिलिस्तीन स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा पाने की लड़ाई लड़ रहा है
फिलिस्तीन लंबे समय से अपनी आजादी और स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा पाने की लड़ाई लड़ रहा है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा पहले ही मिल चुका है, लेकिन अभी भी उसे पूर्ण सदस्यता और सार्वभौमिक मान्यता नहीं मिली है। अगर कई देश एक साथ इसकी मान्यता का ऐलान करते हैं, तो यह फिलिस्तीन के लिए कूटनीतिक जीत होगी और इजरायल पर भी दबाव बढ़ेगा कि वह बातचीत की मेज पर लौटे। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से दो-राष्ट्र समाधान पर जोर देता रहा है। इसका मतलब है कि इजरायल और फिलिस्तीन-दोनों को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिले और वे शांति से साथ रह सकें, लेकिन पिछले कई दशकों से यह मसला हिंसा, युद्ध और असफल शांति वार्ताओं में उलझा रहा। इस बार महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने की बढ़ती घोषणाएं इस समाधान की दिशा में सकारात्मक कदम मानी जा रही हैं।
ऐसे खुलेगी शांति वार्ता की राह खोल
मध्य पूर्व में लगातार बढ़ते संघर्ष और गाजा पट्टी की स्थिति ने दुनिया भर के देशों को सोचने पर मजबूर किया है। यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई देशों ने फिलिस्तीन की स्थिति पर चिंता जताई है। कुछ देशों ने पहले ही इसे मान्यता दे दी है, जबकि कई अब 80वीं महासभा में इसका औपचारिक ऐलान करने वाले हैं। इससे यह साफ है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिलिस्तीन को समर्थन लगातार बढ़ रहा है।फिलिस्तीन को बढ़ती मान्यता इजरायल पर भी दबाव डालेगी। उसे भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बात सुननी होगी। हालांकि, इजरायल अक्सर सुरक्षा कारणों का हवाला देकर फिलिस्तीन को पूर्ण राष्ट्र का दर्जा देने से बचता रहा है, लेकिन बढ़ती वैश्विक सहमति उसके लिए चुनौती बन सकती है। 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं होगी, बल्कि यह दुनिया के लिए एक संकेत होगी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब फिलिस्तीन को लेकर गंभीर है। अगर कई देश मिलकर फिलिस्तीन को मान्यता देते हैं, तो यह शांति वार्ता की राह खोल सकता है और दशकों पुराने इस विवाद के समाधान की उम्मीद जगा सकता है।
इनपुट- आईएएनएस