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'Raisina Middle East': विदेश मंत्री बोले, पश्चिम एशिया भारत के हितों के लिए महत्वपूर्ण

भारत इस क्षेत्र को दुनिया के लिये एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में देखता है। 'रायसीना मिडिल ईस्ट' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि मध्य पूर्व क्षेत्र, जिसे भारत पश्चिम एशिया कहता है, भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है।

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Mukesh Pandit
Jaishankar

Photograph: (X)

अबूधाबी, वाईबीएन नेटवर्क।

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि पिछले दशक में मजबूत व्यापार, संपर्क, (भारत और मध्य पूर्व की) जनता के बीच आपसी संबंधों से प्रेरित भारत-मध्य पूर्व के संबंधों के महत्वपूर्ण विस्तार को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र को दुनिया के लिये एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में देखता है। 'रायसीना मिडिल ईस्ट' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि मध्य पूर्व क्षेत्र, जिसे भारत पश्चिम एशिया कहता है, भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। खाड़ी क्षेत्र में भारत का व्यापार लगभग 160 से 180 अरब अमेरिकी डॉलर है। 

90 लाख भारतीय खाड़ी देशों में हैं

जयशंकर ने कहा, 'खाड़ी में हमारी उपस्थिति व्यापक और महत्वपूर्ण है। 90 लाख से अधिक भारतीय यहां रहते हैं और काम करते हैं। खाड़ी एमईएनए (मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका) क्षेत्र और भूमध्य सागर के लिए प्रवेश द्वार के रूप में भी काम करती है।' उन्होंने कहा कि यह बड़ा क्षेत्र हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर के बीच जुड़ाव का काम करता है। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में जयशंकर के हवाले से कहा गया, 'भूमध्यसागरीय क्षेत्र के साथ हमारा वार्षिक व्यापार 80 अरब अमेरिकी डॉलर का है, और वहां प्रवासी भारतीय सदस्यों की संख्या लगभग पांच लाख है।'  उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में भारत की परियोजनाओं में हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे, फॉस्फेट, हरित हाइड्रोजन, इस्पात और पनडुब्बी केबल शामिल हैं। 

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लोगों का लंबे समय से क्षेत्र से जुड़ाव

जयशंकर ने कहा कि भारत और मध्य पूर्व के प्रयासों को अफ्रीका, यूरोप, काकेशस और मध्य एशिया में भी आगे बढ़ाया जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा, 'शायद ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें कनेक्टिविटी के अलावा इस तरह के बहुपक्षीय सहयोग के लिए अधिक मजबूत मामला हो...समुद्री सुरक्षा और संरक्षा एक और मुद्दा है, जहां वैश्विक कमी को दूर करने के लिए समझ और तंत्र की जरूरत है।' जयशंकर ने कहा कि दोनों क्षेत्रों में लंबे समय से लोगों का आपसी जुड़ाव रहा है, वैश्विक कार्यस्थल के उद्भव में भी वे समान रुचि रखते हैं। 

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यूएई के राष्ट्रपति के राजनीतिक सलाहकार से मिले

उन्होंने कहा, 'यह तब और भी जरूरी हो जाता है, जब सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे नए उद्योग कौशल और प्रतिभा की तलाश में दुनियाभर में खोजबीन कर रहे हों। विशेष रूप से, खाड़ी क्षेत्र इस संबंध में एक ट्रेंडसेटर रहा है।’’ जयशंकर ने कहा कि मध्य पूर्व एक विस्तारित पड़ोस है, जिसके साथ भारत पूरी तरह से जुड़ गया है, और नयी दिल्ली को इस क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव को और गहरा करने की जरूरत है। मंत्री ने  सुबह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार अनवर गरगाश से भी मुलाकात की तथा भारत और यूएई के बीच विशेष साझेदारी एवं इसकी आगे की प्रगति पर चर्चा की। 

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अबूधाबी के शेख से मिले जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अबू धाबी के शहजादे शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। जयशंकर तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंचे। जयशंकर ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मिलकर प्रसन्नता हुई। उनकी हाल की भारत यात्रा को याद किया और साझेदारी को आगे बढ़ाने पर चर्चा की,। सरकारी समाचार एजेंसी  "डब्ल्यूएएम" की एक खबर के अनुसार बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच मैत्री और सहयोग पर चर्चा की तथा दोनों देशों और उनके लोगों के साझा हितों की पूर्ति के लिए इन्हें और बढ़ाने तथा विकसित करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। जयशंकर ने यूएई के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार अनवर गार्गश से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच विशेष साझेदारी पर चर्चा की। 

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