चर्च में नए अध्याय की तैयारी, कैसे होता है नए Pope का चुनाव, ये है पूरी जानकारी
जब सफेद धुएं की लहरें आकाश में फैलती हैं, तो यह संकेत है कि चर्च को नया पोप मिल गया है। वरिष्ठ कार्डिनल बालकनी पर आकर 'हबेमुस पापम' (हमें एक पोप मिल गया है) की घोषणा करते हैं।
दुनिया भर के 1.4 अरब रोमन कैथोलिकों के आध्यात्मिक नेता रहे पोप फ्रांसिस का निधन होने से जहां पूरी दुनिया गमगीन है, वहीं नए पोप के चुनाव को लेकर भी प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके साथ ही एक नई शुरुआत की परंपरागत और गूढ़ प्रक्रिया, कॉन्क्लेव आरंभ हो गई है। पोप को कैथोलिक चर्च का सर्वोच्च धर्मगुरु और येशु मसीह के प्रमुख शिष्य संत पीटर का उत्तराधिकारी माना जाता है। इसी कारण, वे चर्च के सिद्धांतों, परंपराओं और आस्थाओं पर सर्वोच्च अधिकार रखते हैं।
वेटिकन पर टिक गई हैं पूरी दुनिया की नजरें
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद अब पूरी दुनिया की नजरें वेटिकन पर टिक गई हैं। अगला पोप चुनने की जिम्मेदारी कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स के कंधों पर होगी। इस कॉलेज में 252 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, जिनमें से केवल 138 कार्डिनल, जो 80 वर्ष से कम आयु के हैं और ये ही मतदान के पात्र हैं। शेष सदस्य चर्चाओं में भाग ले सकते हैं, लेकिन वोट नहीं कर सकते।चुनाव की प्रक्रिया वेटिकन सिटी स्थित सिस्टीन चैपल में आयोजित की जाती है, जिसकी दीवारों पर माइकल एंजेलो की कालजयी कृतियाँ सजी हैं। जब तक नया पोप नहीं चुना जाता, चर्च का संचालन अस्थायी रूप से कार्डिनल्स करते हैं।
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Photograph: (Google)
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सफेद धुआंदेगा आशा और विश्वास का नया संदेश
वेटिकन के सिस्टीन चैपल में, माइकल एंजेलो की अनुपम कलाकृतियों के साए तले, नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होती है। जब तक सर्वसम्मति नहीं बनती, तब तक काले धुएं की लहरें आसमान में उठती रहती हैं। लेकिन जब अंततः सफेद धुएं की कोमल लहरें आकाश में फैलती हैं, तो पूरी दुनिया समझ जाती है, चर्च को नया मार्गदर्शक मिल गया है। इसके कुछ क्षणों बाद, एक वरिष्ठ कार्डिनल ऐतिहासिक बालकनी पर प्रकट होते हैं और 'हबेमुस पापम' (हमें एक पोप मिल गया है) की घोषणा करते हैं। इसके बाद एक नई आशा और विश्वास के संदेश के साथ नए पोप पहली बार अपने चुने हुए नाम के साथ आते हैं।
पूरी गोपनीयता के साथ संपन्न होती है चुनावी प्रक्रिया
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संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया एक गहन गोपनीयता में संपन्न होती है। सिस्टीन चैपल से उठने वाला काला धुआं संकेत करता है कि अभी चुनाव पूरा नहीं हुआ है, जबकि सफेद धुएं के उठते ही पूरी दुनिया को पता चलता है कि चर्च को नया पोप मिल गया है। इसके बाद एक वरिष्ठ कार्डिनल बालकनी पर आकर ‘हबेमुस पापम’ (हमें एक पोप मिल गया है) की उद्घोषणा करते हैं। सैद्धांतिक रूप से कोई भी बपतिस्मा प्राप्त रोमन कैथोलिक पुरुष पोप चुना जा सकता है, लेकिन सदियों से परंपरा यही रही है कि चुनाव कार्डिनल्स के बीच से ही होता है।2013 में पोप फ्रांसिस के चयन के साथ दक्षिण अमेरिका से पहली बार कोई पोप आया था। हालांकि, 266 पोपों के इतिहास में 217 पोप इटली से रहे हैं, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भी अगला पोप यूरोप, विशेष रूप से इटली से हो सकता है।
सादगी को समर्पित होगी पोप फ्रांसिस की विदाई
पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में कई परंपराओं को सरल बनाने की दिशा में कदम उठाए थे, और उनकी अंतिम विदाई भी इसी भावना को दर्शाएगी। वे वेटिकन के बजाय रोम के प्रतिष्ठित सैंटा मरिया मैगीओरे बेसिलिका में विश्राम पाएंगे।जहां सामान्यतः पोप के अंतिम संस्कार में तीन परतों वाले ताबूत का प्रयोग होता है, वहीं पोप फ्रांसिस को जिंक की परत वाले एक साधारण लकड़ी के ताबूत में दफनाया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर सार्वजनिक दर्शन के लिए नहीं रखा जाएगा, बल्कि सीधे ताबूत में ही उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।उनकी यह अंतिम यात्रा भी उनके विनम्र स्वभाव और सादगीपूर्ण दृष्टिकोण की गवाही देती है।
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