नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सऊदी अरब के दौरे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि सऊदी अरब और इसरायल के बीच औपचारिक संबंध स्थापित करना एक "सपना" है, लेकिन वे चाहते हैं कि सऊदी अरब इसे "अपने समय पर" पूरा करें। इस बीच व्हाइट हाउस ने मंगलवार को सऊदी अरब के साथ सैकड़ों अरब डॉलर के आर्थिक और रक्षा समझौतों की घोषणा की, लेकिन इसरायल का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया।
ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकता आर्थिक- सामरिक
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में सऊदी-इसरायल सामान्यीकरण को मध्यपूर्व नीति की प्राथमिकता माना गया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इस नीति से हटकर आर्थिक और सामरिक सहयोग को प्राथमिकता दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अरब गल्फ स्टेट्स इंस्टीट्यूट की अन्ना जैकब्स का कहना है, "ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अब सामान्यीकरण की पूर्व शर्त के बिना ही सऊदी अरब के साथ समझौते करने को तैयार हैं।"
गाजा युद्ध और तनावपूर्ण माहौल
मध्यपूर्व मामलों के विशेषज्ञ क्रिस्टियन कोट्स उलरिचसन का मानना है कि गाजा में युद्ध और फिलिस्तीनी राज्य के गठन को लेकर इसरायल की अनिच्छा के चलते यह समय सामान्यीकरण के लिए उपयुक्त नहीं है। ट्रंप पहले कार्यकाल में अब्राहम समझौते के तहत इसरायल और कुछ अरब देशों के बीच समझौते करा चुके हैं। लेकिन इन समझौतों से गाजा में 2023 में शुरू हुए युद्ध को नहीं रोका जा सका। इसरायल की वेस्ट बैंक में सैन्य कार्रवाइयों और अवैध बस्तियों के विस्तार ने दो-राष्ट्र समाधान की संभावनाओं को और कमजोर किया है।
बाइडेन की नाकामी और सऊदी का रुख
बाइडेन प्रशासन ने आखिरी वक्त तक सऊदी को अब्राहम समझौते में शामिल करने की कोशिश की थी। लेकिन सऊदी अरब फिलिस्तीनी राज्य के समर्थन में 2002 की अरब शांति पहल से पीछे हटने को तैयार नहीं है। इसी दौरान सऊदी सरकार ने गाजा में इसरायल की कार्रवाइयों को "नरसंहार" करार दिया है। ऐसे में अब इसरायल के साथ सामान्यीकरण करना "असंभव" माना जा रहा है।
रक्षा सौदे और ट्रंप की यात्रा
ट्रंप ने रियाद में सऊदी अरब के साथ 142 अरब डॉलर के रक्षा सौदे की घोषणा की। इसमें उन्नत सैन्य उपकरणों की बिक्री, सैन्य प्रशिक्षण और मेडिकल सेवाओं का विस्तार शामिल है। इस यात्रा के बाद ट्रंप कतर और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर जाएंगे। हैरानी की बात यह है कि इस यात्रा में इसरायल शामिल नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप मध्यपूर्व को एक स्थिर और समृद्ध क्षेत्र के रूप में देख रहे हैं, जिसमें खाड़ी देशों की भूमिका प्रमुख है। जबकि इसरायल का आक्रामक रुख, खासकर गाजा, लेबनान और सीरिया में, इस दृष्टिकोण से अलग है।
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