बांदा, वाईबीएन नेटवर्क।
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के मटौंध थाना क्षेत्र की रहने वाली शहजादी को 15 फरवरी को (UAE) दुबई में फांसी दे दी गई। 33 साल की शहजादी खान अबू धाबी के अल वथबा जेल में बंद थीं। शहजादी को दुबई में एक बच्चे की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय दूतावास ने शहजादी को हर संभव कानूनी सहायता दी। यूएई सरकार के पास दया याचिका लगाई गई। क्षमा की अर्जी भी दी गई। लेकिन वहां के कानून के अनुसार, उसे 15 फरवरी को फांसी दी जा चुकी है। शहजादी के पिता के अनुसार 5 मार्च को UAE में उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा। UAE सरकार ने 28 फरवरी 2025 को आधिकारिक रूप से भारतीय दूतावास को सूचित किया कि शहजादी खान की सजा पर 15 फरवरी 2025 को अमल कर दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक साल 2021 में आगरा का रहने वाला उजैर नाम का शख्स शहजादी को प्रेमजाल में फंसाकर दुबई में अपने रिश्तेदारों के घर छोड़ गया। दिसंबर 2021 में शहजादी को अबू धाबी का वीजा मिला और वह दुबई होते हुए UAE पहुंचीं। वहां उजैर के रिश्तेदार के बेटे की हत्या का आरोप शहजादी पर लगा। मामला अदालत तक पहुंचा और शहजादी को फांसी की सजा सुनाई गई। हालांकि शहजादी के माता-पिता ने भारत सरकार से बेटी की जान बचाने की गुहार लगाई और दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। लेकिन सरकार की कोशिशें नाकाम रहीं।
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अपराधों के लिए फांसी देने का प्रावधान
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) एक इस्लामिक देश है। यहां शरिया कानून और नए तरीकों से भी मृत्युदंड दिया जाता है। हालांकि, यहां मृत्युदंड काफी दुर्लभ मामलों में दिया जाता है। यहां सजा-ए-मौत हत्या, आतंकवाद, बलात्कार और यौन उत्पीड़न, ड्रग तस्करी, देशद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले अपराध, इस्लाम की निंदा या पैगंबर का अपमान, जैसे अपराधों के लिए फांसी देने का प्रावधान है। यहां भी सबूतों की समीक्षा की जाती है। अगर आप गलत पाए गए तो सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट यह देखता है कि सजा-ए-मौत देने का फैसला कानूनी रूप से सही है या नहीं। यहां भी अगर मृत्युदंड पर मुहर लग जाती है तो फिर सिर्फ राष्ट्रपति से क्षमा याचना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं। यदि राष्ट्रपति माफ कर देते हैं, तो सजा को आजीवन कारावास या अन्य दंड में बदल दिया जाता है।
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