अमेरिका रेसिप्रोकल
टैरिफ (
reciprocal tariff) पर अडिग है।
चीन ने इस मामले में अमेरिका को चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि वह गलती पर गलती कर रहा है। अमेरिका को
चीन के साथ बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। व्हाइट हाउस ने चीन की इस चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए कहा कि चीन किसी गलतफहमी में न रहे, अमेरिका अब उस दौर में नहीं कि धमकियों में आ जाए। चीन पर अमेरिका ने 104 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। उधर यूरोपियन के 27 देशों ने मिलकर अमेरिकी टैरिफ से निपटने की रणनीति पर काम कर दिया है। इन देशों ने अमेरिका के प्रति कड़ा रुख दिखाया है।
अनिश्चतता के भंवर में अर्थव्यवस्था
उधर मंगलवार को अमेरिकी शेयर बाजार में फिर बड़ी गिरावट देखने को मिली। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार को लेकर दुनिया भर के बाजार में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है और इस अनिश्चितता ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल दिया है। कुछ देश इस विषय को अमेरिका से बात सुलटाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन चीन और यूरोपियन देश मामले में सख्त नजर आ रहे हैं।
माना जा रहा टैरिफ वार का आगाज
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर शुरू हुई इस धमकी भरी बयानबाजी के बाद सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। चीन की धमकी के बाद व्हाइट हाउस ने बुधवार से चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लागू करने का ऐलान कर दिया। इसे टैरिफ युद्ध (Tariff war) की दिशा में अमेरिका का एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है, जो वैश्विक बाजारों में अस्थिरता ला सकता है।
कैरोनिल लीविट बोलीं- चीन ने भारी गलती की
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने मीडिया से बातचीत के दौरान चीन की प्रतिक्रिया को “भारी गलती” बताते हुएकहा, “जब अमेरिका को घूंसा मारा जाता है, तो वह और जोर से पलटवार करता है। चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लागू करने का निर्णय लिया है। लीविट ने साफ शब्दों कहा कि यदि चीन समझौते की पहल करेगा तो अमेरिका बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन टैरिफ पर फिलहाल कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
अमेरिका अब आर्थिक समर्पण नहीं करेगा
कैरोलिन लीविट ने कहा, रेसिप्रोकल टैरिफ (donald trump tariff) का फैसला ट्रंप प्रशासन के उस मिशन का हिस्सा है जो अमेरिका के कामकाजी वर्ग को नुकसान पहुंचाने वाली अनुचित व्यापार प्रथाओं को सुधारने के लिए लिया गया है। प्रेस सचिव ने चीन की नीतियों पर हमला बोलते हुए कहा कि चीन ने वर्षों से अमेरिका की नौकरियों और उद्योगों को नुकसान पहुंचाया है। “राष्ट्रपति ट्रंप यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अमेरिका अब किसी भी आर्थिक आत्मसमर्पण की स्थिति में नहीं रहेगा। चीन जैसी ताकतों को यह समझ लेना चाहिए कि अब अमेरिका कमजोर नहीं है।