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Photograph: (YBN)
बीबीसी के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह मांग मंगलवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ के अधिकारियों के बीच हुई बैठक के दौरान की। मीटिंग में रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के विकल्पों पर चर्चा की गई।
ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रपति बनने पर 'पहले दिन' ही रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने का वादा किया था। वह मॉस्को और कीव के बीच शांति समझौता कराने की कोशिश कर रहे हैं हालांकि उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है। वहीं रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं।
यूएस प्रेसिडेंट ने मंगलवार को मीडिया से कहा कि उनका प्लान इस हफ्ते या अगले हफ्ते की शुरुआत में पुतिन से फोन पर बातचीत करने का है।
चीन, भारत और रूस का आर्थिक संबंध
चीन और भारत रूस के तेल के बड़े खरीदार हैं, जो रूसी अर्थव्यवस्था को सहारा देते हैं। पिछले महीने अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ सामानों पर 50% टैरिफ लगाया था, जिसमें रूस के साथ लेन-देन के लिए 25% का अतिरिक्त दंड भी शामिल था। यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता खत्म करेगा, लेकिन अभी भी उसकी लगभग 19% प्राकृतिक गैस आयात रूस से होता है। यदि यूरोपीय संघ चीन और भारत पर टैरिफ लगाता है, तो यह रूस को अलग-थलग करने की उसकी नीति में बदलाव होगा। अब तक यूरोपीय संघ ने रूस पर केवल प्रतिबंध लगाए हैं, टैरिफ नहीं।
यूक्रेन पर रूस के हमले और बढ़ता संघर्ष
अमेरिका-यूरोपीय संघ और भारत के साथ व्यापारिक बातचीत
बीबीसी के मुताबिक ट्रंप की यूरोपीय संघ से टैरिफ लगाने की अपील की पहली रिपोर्ट फाइनेंशियल टाइम्स ने दी थी। इससे पहले अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने कह चुके हैं कि अमेरिका आर्थिक दबाव तेज करने को तैयार है, लेकिन इसके लिए यूरोप का मजबूत समर्थन जरूरी है। ट्रंंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका और भारत के बीच "ट्रेड बैरियर" को दूर करने के लिए बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे और व्यापारिक वार्ताओं में सफल परिणाम की उम्मीद रखते हैं। यह उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा। इसके जवाब में मोदी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा कि दोनों देश "निकट मित्र और प्राकृतिक साझेदार" हैं। मोदी ने कहा, "हमारी टीमें जल्द से जल्द इन वार्ताओं को पूरा करने के लिए काम कर रही हैं। मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए उत्सुक हूं। ट्रंप की टिप्पणियों को अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो हाल ही में ठप पड़ गए थे। पिछले सप्ताह भी ट्रंंप ने भारत और अमेरिका के बीच विशेष संबंध पर जोर देते हुए कहा था, चिंता की कोई बात नहीं है, बस कभी-कभार मतभेद होते हैं।