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Donald Trump के निशाने पर चीन, अब पनामा पर बढ़ाई मुश्किलें

Donald Trump: राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रंप लगातार चीन पर हमला बोल रहे हैं। उन्होंने अपने ताबड़तोड़ फैसलों से दुनिया को सकते में डाल रखा है। ट्रंप के ज्यादातर फैसलों में सीधे या परोक्ष रूप से चीन को निशाना बनाया गया है।

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Kamal K Singh
PANAMA TRUMP XINPING
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न्यूयॉर्क, वाईबीएन नेटवर्क।

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राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रंप लगातार चीन पर हमला बोल रहे हैं। उन्होंने अपने ताबड़तोड़ फैसलों से दुनिया को सकते में डाल रखा है। ट्रंप के ज्यादातर फैसलों में सीधे या परोक्ष रूप से चीन को निशाना बनाया गया है। इस बार ट्रंप ने चीन पर अचानक हमला बोला है। यह लड़ाई दुनिया को जोड़ने वाली पनामा नहर को लेकर है। ट्रंप का कहना है कि चीन को पनामा नहर से हटा देना चाहिए वरना उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

ट्रंप ने चीन को मुश्किल में डाला

ट्रंप ने चीन पर 10% टैरिफ लगाने का फैसला तो कर ही लिया है, अब वे पनामा पर भी चीन की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। ट्रंप ने पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो से कहा कि उनका देश चीन की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड (BRI) को नवीनीकृत नहीं करेगा।

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यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि पनामा 2017 में चीन की इस योजना में शामिल हो गया था लेकिन अब वह इस योजना में शामिल नहीं होना चाहता है। इसका एकमात्र कारण अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप हैं। पनामा में ट्रंप के सत्ता में आने से पहले ही वह कह रहे थे कि पनामा नहर के जरिए चीन से आने वाले जहाजों पर उतना टैरिफ नहीं लगाया जाता जितना अमेरिका से आने वाले जहाजों पर लगाया जाता है। ट्रंप पिछले कुछ महीनों से पनामा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह चीन को इतना महत्व देना बंद करे, जिसमें वह सफल होते दिख रहे हैं।

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राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा कि पनामा अब अमेरिका के साथ नए निवेशों पर काम करेगा, जिसमें बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी शामिल हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार पनामा पोर्ट्स कंपनी का ऑडिट करेगी।

ट्रंप का दबाव

पनामा के राष्ट्रपति ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो उनसे मिलने आए हैं। आपको बता दें कि रुबियो ने रविवार को पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो से मुलाकात की थी।

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ट्रंप की ओर से बोलते हुए रुबियो ने मुलिनो से कहा कि ट्रंप का मानना ​​है कि नहर क्षेत्र में चीन की मौजूदगी उस संधि का उल्लंघन कर सकती है, जिसके तहत अमेरिका ने 1999 में जलमार्ग पनामा को सौंप दिया था। उस संधि में अमेरिकी निर्मित नहर की स्थायी तटस्थता की बात कही गई है।

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