वॉशिंगटन, वाईबीएन नेटवर्क ।
अमेरिकी राजनीति में भूचाल लाने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का एक बेहद गोपनीय 'वॉर प्लान' लीक हो गया है। यह प्लान यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ हमले की रणनीति से जुड़ा था। चौंकाने वाली बात यह है कि यह प्लान एक ऐसे 'सिग्नल ग्रुप चैट' में साझा किया गया, जिसमें एक पत्रकार भी शामिल था!
कैसे खुला राज ?
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने हूती विद्रोहियों पर हमले की योजना बनाई और इसे 'सिग्नल' नामक मैसेजिंग एप पर एक ग्रुप चैट में साझा किया। इस ग्रुप में 'द अटलांटिक' मैगजीन के प्रधान संपादक जेफरी गोल्डबर्ग भी मौजूद थे। गोल्डबर्ग के अनुसार, उन्हें गलती से इस ग्रुप में जोड़ लिया गया था।
ग्रुप में कौन-कौन था ?
सोमवार को व्हाइट हाउस ने स्वीकार किया कि इस ग्रुप चैट में हूती विद्रोहियों पर हमले को लेकर चर्चा हुई थी। इसमें रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और विदेश मंत्री मार्को रुबियो जैसे शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
व्हाइट हाउस की सफाई
व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने ग्रुप चैट की सत्यता की पुष्टि की। उन्होंने कहा, "रिपोर्ट किया गया थ्रेड प्रामाणिक लगता है। हम इस बात की समीक्षा कर रहे हैं कि अनजान नंबर को ग्रुप में कैसे जोड़ा गया?"
रक्षा मंत्री का पलटवार
रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने पत्रकार गोल्डबर्ग की आलोचना करते हुए कहा, "कोई भी 'वॉर प्लान' साझा नहीं किया गया है। गोल्डबर्ग एक धोखेबाज और बदनाम पत्रकार हैं। उन्होंने झूठ फैलाने का पेशा बना लिया है।"
डोनाल्ड ट्रंप ने उड़ाया मजाक
donald trump ने इस घटना का मजाक उड़ाते हुए कहा, "मुझे इस घटना के बारे में कुछ नहीं पता।" उन्होंने अपने 'ट्रुथ सोशल' प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट भी साझा किया, जिसमें अटलांटिक पत्रिका का उपहास उड़ाया गया था।
पत्रकार का दावा
गोल्डबर्ग ने 'एबीसी न्यूज' को बताया कि उन्हें गलती से ग्रुप में जोड़ा गया था। उन्होंने कहा, "मुझे लगा कि यह कोई और वाल्ट्ज है। लेकिन हमले के बाद ग्रुप में बधाई संदेश भेजे जाने लगे, तब मुझे विश्वास हुआ कि यह ट्रंप कैबिनेट है।"
सुरक्षा उल्लंघन का मामला
गोल्डबर्ग ने इस घटना को "एक बड़ा सुरक्षा उल्लंघन" बताया है। उन्होंने कहा, "अगर अटलांटिक के प्रधान संपादक को हथियार प्रणालियों, हमले के समय और मौसम जैसी संवेदनशील जानकारी तक पहुंच दी जा रही है, तो यह एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन है।"
इस घटना ने america की राजनीति और सुरक्षा प्रतिष्ठान में खलबली मचा दी है। सवाल उठ रहे हैं कि इतनी संवेदनशील जानकारी एक असुरक्षित मैसेजिंग एप पर कैसे साझा की गई? और एक पत्रकार को गलती से इतने गोपनीय ग्रुप में कैसे जोड़ लिया गया?