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समस्‍तीपुर टू आईपीएल: Vaibhav Suryavanshi की स्‍ट्रगल स्‍टोरी !

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया। ये कारवां ऐसा बना कि पूरा देश आज वैभव सूर्यवंशी के लिए ताली बजा रहा है।

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Suraj Kumar
Vaibhav suryvanshi struggle story
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन स्‍पोर्ट्स। मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया। ये कारवां ऐसा बना कि पूरा देश आज वैभव सूर्यवंशी के लिए ताली बजा रहा है। हर क्रिकेट प्रेमी वैभव के नाम से परिचित हो गया है। बिहार के समस्‍तीपुर से निकलकर आईपीएल जैसे बड़े मंच पर पहुंचना बिल्‍कुल आसान नहीं था। वैभव को क्रिकेट खिलाने के लिए उनके पिता ने अपने खेत तक बेच दिए थे। उनके उसी बलिदान का प्रतिफल है कि आज क्रिकेट खेलने वाला हर बच्‍चा वैभव की तरह बनना चाहता है।

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5 साल की ट्रनिंग का नतीजा है ये वैभव 

कहते हैं पूत के पांव पालने में नजर आते हैं। पहले ही आईपीएल मैच में 20 गेंदों में 34 रन की पारी वैभव की प्रतिभा की बानगी पेश की। इसके बाद छोटी-छोटी लेकिन बहादुर पारियां खेल वैभव ने अपनी प्रतिभा दिखाई। अब उन्होंने शतक जड़कर दुनिया के सामने दम दिखाया है। शार्दुल ठाकुर, आवेश खान, सिराज, ईशांत शर्मा, प्रसिद्ध कृष्णा, वॉशिंगटन सुंदर, राशिद खान और करीम जनत जैसे गेंदबाजों पर प्रहार कर उन्होंने संकेत दे दिया है उन्हें छोटा बच्चा समझने की गलती नहीं करें।

नाविक के तीर की तरह उनके शॉट ताकतवर और सटीक हैं। हालांकि, सवाल यह उठता है कि 14 वर्षीय खिलाड़ी अपने स्ट्रोक्स में इतनी ताकत कैसे पैदा कर सकता है कि उसने शीर्ष स्तर के आक्रमण का सामना करते हुए एक बार नहीं कई बार गेंद को स्टैंड में भेजा? सोमवार को गुजरात के खिलाफ अपनी पारी में वैभव ने सात चौके और 11 छक्के लगा दिए थे।Vaibhav suryvanshi training

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एक दिन में 600 गेंद खेलते थे वैभव - कोच मनीष ओझा 

पटना के उनके कोच मनीष ओझा कहते हैं, 'आप लोगों ने उसके शॉट में ताकत देखी होगी। बल्ले की स्विंग और सही टाइमिंग देखी होगी। अगर छक्का मारने के लिए ताकत ही एकमात्र मानदंड होता तो पहलवान क्रिकेट खेलते। यह पांच साल की ट्रेनिंग है जिसमें वैभव हर दिन 600 सौ गेंदें खेलते थे।' जब आम 14 वर्षीय बच्चे प्लेस्टेशन खेलने और होमवर्क करने में व्यस्त होते हैं, तब बिहार के समस्तीपुर के इस किशोर ने कई अनुभवी गेंदबाज की गेंदों पर छक्के लगाए। उन्होंने गेंद को सवाई मानसिंह स्टेडियम की दर्शक दीर्घा में पहुंचा दिया। कोच ओझा ने इस विशेष प्रतिभा को पहचाना और सुनिश्चित किया कि 10 साल के वैभव को इस तरह तैयार किया कि जब भी मौका मिले, वह बड़ी चुनौती के लिए तैयार रहे।

वैभव के लिए पिता ने बेची जमीन 

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सोना आभूषण तभी बनता है, जब उसे भट्टी में पकाया जाता है। वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी को भी इन आग की लपटों का सामना करना पड़ा। उन्‍होंने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए अपनी जमीन तक बेच दी थी।  बिहार क्रिकेट संघ ने वैभव सूर्यवंशी का पूरा समर्थन किया और उन्हें रणजी ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में खेलने का अवसर दिलाया। तिलक नायडू की अध्यक्षता वाली अंडर-19 राष्ट्रीय चयन समिति ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें कोल्ट टेस्ट क्रिकेट तक पहुंचाया। इसके बाद राजस्थान रॉयल्स के राहुल द्रविड़ और जुबिन भरूचा ने आईपीएल से पहले वैभव को 150 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार वाले साइड-आर्म थ्रोडाउन का अभ्यास कराकर उनके खेल को तराशने में अहम भूमिका निभाई।Vaibhav suryvanshi childhood

वैभव के पिता ओझा के त्याग को लोग सम्मान की नजर से देखते हैं। वे अपने बेटे को मैच दिखाने के लिए हर दूसरे दिन 100 किलोमीटर का सफर तय करते थे। वहीं, उनकी मां उसके खानपान को लेकर बेहद सतर्क रहती थीं। एक खिलाड़ी जो रोज़ाना 600 गेंदों का सामना करता है, उसके लिए उच्च प्रोटीन युक्त संतुलित आहार बेहद जरूरी होता है—और मां ने यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

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वैभव के लिए रात में 2 बजे उठ जाती थी उनकी मां

गुजरात टाइटंस के खिलाफ मुकाबले में सिर्फ 35 गेंद में शतक लगाने वाले वैभव सूर्यवंशी ने बताया कि उनके साथ उनके पूरे परिवार ने उन्हें क्रिकेटर बनाने के लिए मेहनत की है। उन्होंने कहा, 'जब मैं ट्रेनिंग के लिए जाता था तो मेरी मां मेरे लिए रात के 2 बजे उठकर टिफिन तैयार करती थी। 11 बजे तक वह सो जाती थीं। मेरे कारण वह सिर्फ 3 घंटे की नींद ले पाती थीं। पिता मेरे साथ जाते थे, ऐसे में उनके काम को मेरे भाई ने संभाला। एक समय ऐसा भी आया कि घर चलाना भारी पड़ रहा था। पैसे की तंगी हो गई थी, लेकिन मैं मेहनत करने से पीछे नहीं हटा और आज भगवान ने मुझे उसका फल दिया है। इस सफलता के पीछे मेरी पूरी फैमिली का हाथ है।'

वैभव को 10 लाख रुपये देगी नीतीश सरकार 

 बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी को बधाई दी है। नीतीश कुमार ने लिखा कि '' आई॰पी॰एल॰ के इतिहास में सबसे कम उम्र (14 साल) में शतक लगाने वाले खिलाड़ी बने बिहार के वैभव सूर्यवंशी को बधाई एवं शुभकामनाएं। वे अपनी मेहनत और प्रतिभा के बलबूते भारतीय क्रिकेट की एक नई उम्मीद बन गए हैं। सभी को उन पर गर्व है।'' बिहार के युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी को राज्य सरकार द्वारा 10 लाख रू० की सम्मान राशि भी दी जाएगी। मेरी शुभकामना है कि वैभव भविष्य में भारतीय टीम के लिए नए कीर्तिमान रचें और देश का नाम रौशन करें।

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